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पञ्च्म अन्याय

यौगिक शब्दों की प्रक्रियाएँ

भाषा में शब्द दो तरह के होते हैं—'रूढ़ ( या साधारण ) और यौकि' ; किसी का नाम अाप ने 'क' रख दिया और उस का यह नाम जल-प्रसिद्ध गया; लोग उसे इस ‘क’ नाम से पुकारने-समझने लगे तो इह १ ‘क’ ) नाम उस के लिए ‘रूढ़ हो गया । इस से मतलब नहीं कि

  • ' नाम क्यों रखा राया | ‘पेट जिस श्रङ्ग को कहते हैं, हम सब समझते

है; परन्तु क्य ‘पट' कहते हैं, यह हमें जब तक न मालूम हो, हमारे लिए ह शब्द् ‘रूढ़ ही रहे गा ! पता नहीं, क्यों पैद' नाम ब गया ! सम्भव है, कुछ सोच कर ही रखा गया हो । परन्तु जब तक हमें पता न लगे; तब तक इसारे लिए यह् ‘ब्द' शब्ट है। *दावात रूढ शब्द है हमारे लिए; किन्नु नस-यात्र' यौगिक शब्द है। मसी ( स्याही ) का पात्र । यदि दादात' का ः कोई गार्थ हो और वह हमें मालूम हो जाए, तो उसे भी इम थरिक शब्द कहने लगे रे ! “बुहारी' यौरिक शब्द है- जिस से बुहारा जए, वह बुहा' । परन्तु ‘सूर’ हमारे लिए 'रूद' शब्द है, जब तक कोई व्युत्पचि न मालूम हो जाए । “जलज’ कमल को कहते हैं-~--यौगिक शब्द हैं। कमल जल में पैदा होता है। परन्तु जल में पैदा होने वाली सभी जे “ज' शब्द चे न जानी जाई द; क्योंकि 'कमल' के ही लिए यह शब्द रूद्ध' हो गई है। इसी लिए जलज’ को ‘योगरूढ' शब्द कहेंगे ।। | निरु-शास्त्र के कुछ आचार्यों की मृत हैं कि भाषा के-- उनके सामने ईस्कृत भाषा के–सभी शब्द यौगिक हैं; यह अलग बात है कि उन में बहुतों का योगार्थ या इयुत्पति म भूल गए और इन्हें ‘रूढ़ शब्द झने लगे ! सचिने पर व्युत्पत्ति मालूम हो सकती है। कुछ लोगों की हा है कि भाषा में स्वभावतः दोनो तरह के शब्द पहले से ही चले श्रा रहे हैं। * *? हो, इम यह मान लें कि जिस शब्द की व्युत्पत्ति शिष्टजन- प्रसिद्ध हैं, यौगिक और जिसकी व्युत्पन्ति बहुत सोचने पर भी विद्वत्समाज के सामने नहीं, वह रूढ़' शब्द है । जब इस की व्युत्पत्ति मालूम हो जाएगी, तब यह मै हमारे लिए 'यौगिक हो जाएगा ।