पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३२१

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( २७६ ) 'य' प्रत्यय भूतकाल का कर्तृ-प्रधान, कर्म-प्रधान और कभी-कभी भावे प्रधान भी होता है-- १-काशी गए हुए लड़कों ने अपना काम कर लिया २--विद्यालय गयी हुई लड़कियाँ भोजन बना रही हैं। य' में पुंविभक्ति लगी है---रायः हुआ । “गई हुई भूतकाल और बना रही हैं। वर्तमान काल । लड़कियो की 'जान' क्रिया भूतकाल की है। पर ‘बनाना' वर्तमान की है जो विद्यालय गई थीं, वे भोजन बना रही हैं । | राजस्थानी में 'इ' तद्धित प्रत्यय कृदन्त विशेषण में लग जाता है और तब “हु-हुई’ की जरूरत नहीं रहती-काशी गयोड़ो छोरो’ ‘काशी गोड़ी बहू' और 'काशी गयोड़ी छोरियाँ' । “काशी गोड़ा छोरा’ बहुवचन है- “काशी गए हुए लड़के ।' राष्ट्रभाषा में काशी गए हुए लड़के' बहुवचन है। और राजस्थानी में काशी गथोड़ा लड़का' बहुवचन है । परिशिष्ट में इस पर विवेचन हो । कर्म-प्रधान य’ के उदाहरण- १--यह काम सुभद्रा का किया हुआ है। २-~-ये चित्र शकुन्तला के बनाए हुए हैं। ३---यह क्रिया हमारी की हुई है। ‘बनाए' में 'यू' का वैकल्पिक लोप है---‘बनाये हुए । 'की' स्त्रीलिङ्ग रूप है--‘क्रिया' का | ‘या’ का नित्य लोप और स्त्री-प्रत्यय ‘ई’ से सवर्ण दीर्घ सन्धि । “हुश्रा' में भी ‘या’ का नित्य लोप होता है; यद्यपि पंजाबी में ‘होया' ही चलता है। हिन्दी में ‘अ’ को ‘उ हो जाता है, और तब उसके आगे ‘या’ ठीक नहीं रहता---‘हुया' बोलने-सुनने में अटपटा लगता है; इसी लिए लोप-‘हु' । स्त्रीलिङ्ग में-‘हुई। जिन घातुओं में अनेक स्वर होते हैं, उन सबके आगे से ( हिन्दी में ) ‘य' उड़ जाता है—-पढ़ी हुई, देखी हुई, पढ़ा हुआ, देखा हुआ । “पढ़ और “देख' आदि अनेकस्वर-धातुओं के कृदन्त विशेषण कुरुजांगल तथा पंजाब में ( आज भी ) य-सहित बोले जाते हैं--पढ्या’ ‘देख्या’ ‘सुण्या' ( सुना ) आदि । परन्तु बहुवचन में तथा स्त्रीलिङ्ग में वहाँ भी ‘अ’ का लोफ