३-सीता वनं गता-( साता वन गई ) ( क्रिया )
४-वनं गतां सीतां वनवासिन्यः अपश्यन्
( वन गई हुई सीता को वनवासिनियों ने देखा ) ( विशेषण ) ।
जब कोई मिठाई बनाए-बेचे, तब 'हलवाई और जब कपड़ा खरीदे-
बेचे, तब ‘बजाज । काम-भेद' से नाम-भेद । यदि ‘गतः' और 'गया'
सर्वत्र विशेष ही हैं, तो फिर रामः वनं गतः’ और ‘राम बन गया' आदि
में क्रिया' क्या है ? हम सामान्य भूतकाल ही कह रहे हैं; इस लिए ‘अस्ति
या है' का प्रयोग नहीं । तब क्रिया कौन-सी है ? और राम गया है।
कहने में भी गया’ को विशेषण कइदा गलती है। केवल है। क्रिया नहीं
है-“गया है क्रिया है । ‘गया' कृदन्त मुख्य क्रिया है और है तिङन्त सहा-
यक क्रिया है। इसी तरह लड़का रोता है-“लड़की रोती है' में प्रोता-रोती?
विशेषण नहीं, क्रिया-पद हैं । 'है' सहायक क्रिया है । रोता हुआ लड़की
अाता है' में 'ता' विशेषण है और अता' कृदन्त क्रिया है । संस्कृत ‘आर.
छति' की जगह हिन्दी ने कृदन्त-तिङन्त लड़का आता है’-‘लड़की आती
है' प्रयोग रखे हैं। यहाँ “श्राने का विधान है; ‘होने का नहीं । इस लिए
‘म काशी गया है। राम काशी जाता है' आदि में ‘गया’ ‘जाता’ विशेषण
नहीं; क्रिया-पद हैं।
| हम ‘त' प्रत्यय पर कुछ कह रहे थे। कह रहे थे कि ‘गाती हुई लड़कियाँ
गई' में 'त' प्रत्यय का वर्तमान काल में हम ने समर्थन, एक इँ से कर दिया
है; क्योंकि ‘श्चाता है' आदि में “त' 'वर्तमान-कालिक प्रसिद्ध है।
परन्तु सोचने पर जान पड़ता है कि यह 'त' प्रत्यय काल-निरपेक्ष है।
और स्थिति मात्र बतलाता है---‘शेर मांस खाता है’ ‘जंगली लोग नर-मांस
भी खाते हैं ऐसे प्रयोग होते हैं । इन से वर्तमान काल तो नहीं समझा
जाता ! यह तो मतलब नहीं कि ‘ोर मांस खा रहा है और जंगली लोग
नर-मांस खा रहे हैं । ये क्रियाएँ वर्तमान काल की है । ‘शेर सांस खाती हैं।
में ‘त सामान्य स्थिति बतलाता है। लड़के चंचल होते हैं। और लड़के थे
चंचल हैं' प्रयोगों में अन्तर है। “त' प्रत्यय सामान्य स्थिति बतलाता है ।
यही कारण है कि वर्तमान काल बतलाने के लिए 'है' का प्रयोग करना
पड़ता है। अन्यथा है' की जरूरत न रहती । काल-निरपेक्ष होने से सभी
कालों में लग जाता है । मधु का अनुपान समझिए । गरम दवा में गरम
और शीतल में शीतल ।
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