पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३५२

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बहुतायत से --जो समास होते हैं, वे चार श्रश्न णियों में आ गए हैं। यह मतलब नहीं कि जो समास इन श्रेणियों में न आएँ, वे समास ही नहीं। इसी तरह पूर्वोत्तर पदों की प्रधानता--अप्रधानता का जो निर्देश किया गया है, वह भी ‘प्रायोवाद' ही है। अव्ययीभाव समास में पूर्वपद प्रधान होता है; ऐसा कहा गया है । होता भी पूर्व पद ही प्रधान है। परन्तु संस्कृत के ही ‘उन्मत्तगङ्गं देशः अादि में ‘उन्मन्तगङ्गम् अव्ययीभाव समास है और अन्य पद प्रधान है । साधारणतः बहुव्रीहि समास में अन्य पद प्रधान होता है; पर ‘उन्मत्तगङ्गम् में अव्ययीभाव है और अन्य पद प्रधान है । तत्पुरुष में उत्तर पद प्रधान होता है; परन्तु “ऋतिमालः पुरुषः' में अतिमालः तत्पुरुष है और

  • अन्य पद प्रधान है । बहुब्रीहि में अन्य पद प्रधान होता है; परन्तु द्वित्राः

पुरुषाः' ‘पञ्चषाणि फलानि' आदि में ‘द्वित्राः तथा पञ्चषाणि' आदि ( बहु- ब्रीहि समास होने पर भी ) अन्य पद प्रधान नहीं; प्रत्युत समास में आए हुए ही दोनों पद प्रधान हैं । द्वन्द्व सभास' में दोनों पद' प्रधान होते हैं; परन्तु ‘दन्तोष्ठम् समाहार-द्वन्द्व में समाहार' ही प्रधान है, न कि उभय पद । हिन्दी का चौराहा’ देखिए । चार राहों का समाहार-चौराहा' । “चार का चौ' हो गया है। द्वन्द्व-समाहार में संस्कृत ‘दन्तोष्ठम्' नपुंसक है और हिन्दी में यह द्विगु समाहार चौराहा’ पुल्लिङ्ग । 'चौराह' बने जाने पर पु'विभक्ति। वैसे 'राह' शब्द हिन्दी में स्त्रीलिङ्ग है। राह’ स्त्री-लिङ्ग है; पर ‘चौराहा’ पुल्लिङ्ग है। यह वीहि नहीं है । 'तिमंजिला मकान' में 'तिमंजिल' बहुव्रीहि है। अन्य पद प्रधान हैं। ‘मकान' प्रधान है । उसी के अनुसार “तिमंजिला पुल्लिङ्ग है। वैसे मंजिल स्त्रीलिङ्ग है । हिन्दी में विदेशी शब्दों का समास जब किसी विशेष संज्ञा (नगर आदि) के लिए होता है, तब सन्धि प्रायः हो जाती है--मुराद+ बाद = भुरादाबाद, और अल्लाह + आबाद = अलाहाबाद । ‘अ’ को ‘इ' भी---इलाहाबाद। व्यक्तिवाचक संज्ञाशो में पृथकू-लेखन की भी चाल है—पं० महावीर प्रसाद द्विवेदी । यहाँ ‘महावीर' को 'प्रसाद' से समास है और दोनो एकद’ हैं, परन्तु लिखने में दोनो अलग-अलग रहते हैं। इसी तरह 'डी श्यामसुन्दर दास' आदि समझिए। मतलब यह निकला कि कर्मधारय’ के खण्ड तो सिला कर लिखे जाते हैं--‘महावीर श्यामसुन्दर' आदि; परन्तु शेष (तत्पुरुष के ) शब्द पृथक् लिखे जाते हैं । पृथक् लिखने पर भी हैं ये समस्त ही पद !