पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३५३

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संस्कृत में, समास होने पर भी, कभी-कहीं बीच की विभक्तियों का लोप नहीं होता । विभक्ति बनी रहने पर भी समास; एफपद, एकस्वर । हिन्दी में ( समास होने पर भी ) शिरोरेखा कहीं विश्लिष्ट रहती है; बस ! ‘सिंचाई और सूचना-मंत्री पं० कमलापति त्रिपाठी आदि प्रयोगों पर सोचने की जरूरत है । ‘सूचनामंत्री’ तत्पुरुष समास है; ठीक ! परन्तु सिंचाई को क्या करे गे ? ‘मत्री' का समास जब ‘सूचना के साथ हो गया, तो वह सिंचाई की और देखे गा नहीं ! सूचना के साथ मंत्री बंधू गया । अब इस ('मैत्री') का अन्वय-मेल ‘सिंचाई के साथ वैध नहीं रहा । समझ में किसी तरह अन्वय आ जाता है; परन्तु वह ‘नियमानुकूल नहीं ।

  • सिचाई-सूचना-मंत्री’ लिखना भी ठीक न हो गा । और 'सिंचाई-आबकारी-

सूचना-मंत्री’ तो और भी बेहँगा हो जाए गा ! एक मंत्री के पीछे--एक के पीछे एक-सूचना-आबकारी-सिंचाई की लम्बी लाइन भद्दी लगती है ! कोई पसन्द न करे गा ! तब क्या किया जाए ? मेरा मत है, यहाँ ‘मंत्री को किसी एक पद ( ‘सूचना' आदि) से बाँध न जाए-समास न समझा जाए। 'सिंचाई और सूचना मंत्री” लिखा जाए। बीच में संबन्ध-प्रत्यय न होने पर भी ये असमस्त पद हैं । विभक्ति रहने पर भी संस्कृत में कहीं समस्त पद देखे जाते हैं; हिन्दी में इस के विपरीत, प्रत्यय-विभक्ति न रहने पर भी असमस्त ! हिन्दी की प्रवृत्ति है कि कहीं विभक्ति का लोप समास के अभाव में भी होती है। राम घर मिले गा' में पर' या ‘में' का लोप है और आप के हाथों उद्घाटन होना चाहिए में ‘से' का लोप है । समास की ही तरह अन्यत्र भी कभी ‘मध्यम पद' का लोप होता है। सूचना मंत्री में विभाग मध्यम पद का लोप है । हिन्दी में-'सिंचाई और सूचना मंत्री प्रयोग करने पर ‘मध्यम पद तथा संबन्ध-प्रत्यय का लोप समझ में आता है। सिंचाई और सूचना ( विभागों ) के मंत्री’ यह मतलब | ‘मंत्री को खुलकर चरते- बिचरने दीजिए। समास-बन्घन में जकड़ना ठीक नहीं । निर्बाध समाज- सम्पर्क समास होने पर न रहे या । यहाँ यह कोई नई बात नहीं लिखी जा रही है। मंत्री, सूचना और सिचाई विभाग में भी यही चीज है। यह भी संबन्ध-प्रत्यय का लोप समासाभाव में है। मंत्री का संबन्ध उभयत्र समान S