पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३५४

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रूप से है। मंत्री को उन्नर उठा ले जाइए---‘सिंचाई और सूचना मंत्री हो गया है। यदि ऐसा न मानें और सूचना के साथ मंत्री का समास कर के सूचना-मंत्री' ही करना चाहें, तब सिंचाई अादि से उस का अन्वय न हो गा–प्रयोग गलत हो ग १ हाँ, ‘सिंचाई' आदि के अभाव में ‘सूचना- मंत्री’ ‘विदेशमंत्री’ आदि में समास ठीक ही है। परन्तु ‘प्रधान मंत्री' या

  • मुख्य मंत्री श्रादि में कोई समाप्त नहीं । यहाँ कर्मधारय कर के “प्रधान-

मंत्री' या 'मुख्यमंत्री लिखना हिन्दी-प्रकृति के अनुकूल नहीं है। इसी तरह नगर-वान्चक ‘राम पुर” तथा :म नर' लिखने की चाल है; परन्तु है यहाँ तत्पुरुष समास । रास' से “नरार' तथा 'पुर' पृथक्क पद नहीं हैं । कोई-कोई मिला कर भी लिखते हैं--रामपुर रामनगर । वैकल्पिक लेखन-भेद है। ( *गुरु जी ने अपने हिन्दी-व्याकरण में रामनगर रामपुर अादि के नगर तथा ‘पुर' आदि उत्तर पद को तद्धित--प्रत्यय बतलाया है ! हिन्दी में (संस्कृत राजभवन' अादि की पद्धति पर ) “राज-महल' आदि चलते हैं; परन्तु साथ ही राजा मंड” जैसे प्रयोग भी सामने हैं । “राज-महल' तथा 'राजा-मंडी में तत्पुरुष समास है। पहला शब्द यौगिक और दूसरा रूढ़ है। आगरे के एक बाजार का नाम राजा-मद्धी' है। यदि किसी ‘राजा' ने यह बाजार बनाया-बसाया हो, तो योगरूढ,। कोई अपने घर का नाम 'राज-महल' रख ले, तो फिर यह ‘रूढ़' शब्द इस के क्षेत्र में हो जाए या । परन्तु विचार तो यह है कि राजा मंडी' तथा 'राज गढ़' दोनो शुद्ध हैं क्या ? हाँ, दोनों शुद्ध हैं । राज़ गढ़ राज महल' संस्कृत-पद्धति पर हैं। वहाँ जन्’ प्रातिपदिक के न्’ का लोप हो जाता है। हिन्दी में ‘रानन्' शब्द नहीं, राजा' गृहीत है। इस लिए, इसी ( 'राजा' ) से 'मंडी' का समास है-राजा-संडी’ ! यह एक सैद्धान्तिक चर्चा है, जिस को कुछ विस्तार से विवेचन होना चाहिए । | हिन्दी में कई पद्धतियों पर शब्द गढ़ गए हैं। कुछ शब्द संस्कृत शब्द के प्रतिरूप गढ़ लिए गए हैं; जैसे राजभवन के प्रतिरूप ‘राज महल’ राज गढ़ आदि। कुछ शब्द ऐसे हैं, जिन में संस्कृत की निर्माण-पद्धति से काम लिया गया है श्रौर उपादाने-सामग्री अपनी स्वतंत्र है; जैसे उजड़ना' । संस्कृत के उन्मूलन' शब्द का चलन हिन्दी में भी है। उसी के बुजन पर ‘उजड़ना