पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३६७

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( ३२२ ) अच्छे धोतर है यों अच्छे का पर-प्रयोग यदि ( क्रिया के समीप ) कर दें, तो फिर यह क्रिया-विशेषण बन जाता है। विशेषण-प्रकरण में हम ने उद्देश्य तथा विधेय' भेद से दो श्रेणियाँ विशेषण की बताई थी और कहा था कि उद्देश्य-विशेषण का पूर्व प्रयोग होता है, विधेय-विशेष ः पर-प्रयोग । यहाँ सुकर्मक क्रियाओं का--कर्म की उपस्थिति में-जनु कोई विशेषण आता है, तो इस ( क्रिया-विशेषण } का भी पर-प्रयोग होता है; परन्तु दोनो में बड़ा अन्तर है। राम अच्छे कपड़े पहनती है। यहाँ अच्छापन' कपड़ों में है; पर विधान पहनने का है। राम के पहनने के कपड़े अच्छे हैं । थहाँ भी अच्छापन कपड़ों में ही है --*अच्छे कपड़े ही हैं----परन्तु विधेयता के साथ। कपड़ों के अच्छेपन का विधान है। इस लिए यह संज्ञा का विधेय-विशेषण । इसी तरह ‘अच्छे कपड़े धोबी धोता है' में अच्छे हैं; कपड़े का उद्देश्यात्मक विशेषण । परन्तु- धोबी कपड़े अच्छे धोता है। कहें, तो अच्छे', क्रिया-विशेषण हैं-कपड़े का विधेय-विशेषण नहीं । कपड़ों के अच्छेपन का विधान यहाँ नहीं है; वरन उन के धोने की विशेषता ई अच्छपने । वे धुलते अच्छे हैं। कपड़े अच्छे धुले हैं' था धुलते हैं' में भी अच्छे क्रिया-विशेषगई ही है । अकर्तृक-प्रयोग है, कर्म का कर्ता की तरह प्रयोग । क्रिया-विशेषण इसी के अनुसार रहे गा–‘दरी अच्छी धुली है।

  • अच्छी’ यहाँ ‘दरी' का विधेय–विशेष नहीं है । दरी अच्छी है' में ही
  • अच्छी’ दरी का विधेय-विशेषण है। इस विधेय-विशेषगह को ही पहले लोग।

“पूर्ति' या ‘पूरक' केही करते थे । सीधे या टेढ़े गाड़ने का फल खम्भों पर स्पष्ट है-वे वैसे दिखाई देते हैं और अच्छी था बुरी धुलाई को फले कपड़ों पर देखा जाता है । इस लिए क्रिया-विशेषण कर्म के अनुसार रूप बना लेते हैं। परन्तु जहाँ ऐसी बात नहीं, क्रिया का फल कर्म पर नहीं दिखाई देता, वहाँ क्रिया-विशेषण शर्म के अनुसार न चले गए। यदि उस टॅग की सुकर्मक क्रियाएँ कर्मकर्तृक रूप में