पृथ्वी पर ही मेघ बरसता है । जब मेधे पृथ्वी पर बरसता है' ठीक न
रहे गा । परन्तु सविशेष---
“जब मेघ सूखी धूसर पृथ्वी पर जल-राशि उड़ेलता है, तो वह हरी-भरी
हो जाती है। यहाँ ‘पृथ्वी’ अधिकरण का देना ठीक, ‘सूखी-धूसर' विशेषण
के लिए।
भैंसे को कमल के सौरभ-सौन्दर्य से क्या ! वह तो तटवर्ती कीचड़ में
लोट कर ही श्रीनन्द लेता है ! यहाँ भेदक' (‘तालाब' आदि) का प्रयोग
आवश्यक नहीं है। कमल’ और ‘कीचड़' वहीं की चीजें हैं ।
| इसी तरह सर्वत्र समझिए । 'शकुन्तला जल से पौधों को सींच रही थी
यहाँ जल से अनावश्यक है । उस झरने के जल से' यहाँ “जले से ठीक
है } किसी झरने का वर्णन है। उसी झरने से जल ला ला कर पौधों का
सिंचन। यदि ‘सींचने का प्रयोग न हो, क्रियान्तर से वह बात कही जाए,
तब ‘जल' का प्रयोग हो गा ही-शकुन्तला पौधों में जल दे रही थी।
| पदों के न्यूनाधिक का विवेचन हम आगे पर्याप्त विस्तार के साथ
करेंगे।
भेदक का प्रयोग
वाक्य में भैदफ़' का प्रयोग भी सावधानी से करना चाहिए। ‘श्राप के
आज्ञानुसार’ अादि गलत प्रयोग लोगों ने चला दिए थे, जो अब तक जहाँ- तहाँ देखे जाते हैं । यदि यह सप्रयत्न विकार न लाया जाए, तो हिन्दी का मार्ग बहुत सरल है । पहले बताया जा चुकी है कि भेद्य के अनुसार भेदक और विशेष्य के अनुसार विशेष रहता है। यह भी बुताया जा चुका है कि ‘भेदक' तथा
- विशेषण’ में भेद क्या है। यदि भेदक से भी कोई विशेष प्रकट होती
है, तो उसे भी विशेषण' कहैं गे । ऐसा नहीं, तो ‘भेदक' मात्र । राम का घर राम की धोती राम के जूते' जैसे प्रयोगों में राम का राम की
- राम के’ पद ‘भेदक' हैं । घर, धोती, जूते भेद्य' हैं। इन मैद्यों के ही
अनुसार भेदक के पु०-स्त्री० तथा एकवचन-बहुवचन रूप हैं। इसी तरह
- तेरा लड़का' 'तेरे लड़के तेरी लड़की' आदि में तेरा-तेरे-“तेरी’ भेदक