पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३८५

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( ३४० ) पद हैं। विशेषण की ही तरह ये भेदक भी व्यवच्छेदक होते हैं; पर किसी बिशेषता के कारण नहीं, संबन्ध-विशेष के कारण। यदि संबन्ध के साथ-साथ विशेषता भी विवक्षित हो, तो फिर उस ‘भेदक’ को ‘विशेषण' भी कह सकें गे; यह सब पहले कहा जा चुका है। यहाँ तो आप की आज्ञानुसार’ और ‘श्राप के आज्ञानुसार' की चची थी। श्राप की आज्ञानुसार शुद्ध प्रयोग है; परन्तु लोगो ने इसे गलत समझ कर आपके आज्ञानुसार' लिखना शुरू कर दिया था ! यह मति--भ्रम इस तरह हुआ कि अनुसार' को लोगों ने पुल्लिङ्ग संज्ञा-शब्द समझ लिया और “आज्ञा के साथ उस का समास ( तत्पुरुष ) होने पर भेद्य ( ‘अनुसार) के अनुसार ‘श्राप के पुल्लिङ्ग करने लगे ! जैसे श्राप के लतपुष्प’ उसी | तरह आप के आज्ञानुसार’ और ‘अपने इच्छानुसार लोग समझ बैठे !

  • श्राप का पदानुसर आप का विवेचना-प्रकार' आदि में का' ही रहे गा;

क्योंकि भाववाचक संज्ञाएँ *अनुसरण तथा प्रकार समसगत भेद्य हैं। भाववाचक संज्ञा में नैसर्गिक एक-वचन होता है ।। झाप की आज्ञानुसार’ और ‘अपनी इच्छानुसार शुद्ध प्रयोग हैं; क्योंकि

  • श्राज्ञा’ यहॉ सामने है। अनुसार अव्यय है; संज्ञा नहीं है । ‘अनुसरण

अवश्थ संज्ञा है। आप का अनुसरण मैं करूं गा’ की जगह 'श्राप का अनुसार में करूं गा’ प्रयोग नहीं होता सो, “आज्ञानुसार’ ‘इच्छानुसार आदि में हिन्दी का ‘अव्ययीभाव समास' है और इसे अव्ययीभाव में पूर्व पद के अनुसार भेदक रहे गा । यानी यहाँ आज्ञा' भेद्य है। इसी के अनुसार भेदक रहे गा--'आप की आज्ञानुसार’ ‘तुम्हारी इच्छानुसार' । यदि ‘अनुसार का समास किसी पुल्लिङ्ग शब्द से कर दें, तो भेदक उसी के अनुसार पुल्लिङ्ग हो जाए गा--- श्राप के वचनानुसार-अप के वचन के अनुसार तेरे कथनानुसार-तेरे कथन के अनुसार आप की आज्ञानुसार-आप की आज्ञा के अनुसार अपनी इच्छानुसार-अपनी इच्छा के अनुसार आप के वचनानुसार-आप के वचन के अनुसार तेरे कथनानुसार-तेरे कथन के अनुसार