पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३८६

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(३४१)

( ३४१ ) यानी भेद्य के अनुसार भेदक ‘श्राप की आप के आदि हैं। भेद्य सुभागत “आज्ञा' तथा 'बचन' अादि हैं। ‘अप के वचनानुसार' में 'के' बहुवचन नहीं; भेद्य १ वचन ) के अनुसार एकवचन ही है। परन्तु धुचन के अनुसार-वचनानुसार है। विभक्ति सुमास में भी दिखाई दे रही है। इस लिए एकवचन में भी श्रा’ को ‘ए’ हो गया है-'श्राप के वचनानुसार । ‘लड़के के बाप से पूछो में जैसे एकवचन का’ को 'के' हो गया है, उसी तरह-“आप के वचनानुसार है। ‘क’-२' आदि तद्धित-सम्बन्ध प्रत्यय हैं; इसी लिए मेद्य के अनुसार बदलते हैं । परन्तु अनुसार संशा नहीं, अव्यय है; इसी लिए इस के योग में सदा 'के' २' ने' विभक्तियाँ आ” गी; के, २, न सम्बन्ध प्रत्यय नहीं- |आप की आज्ञा के अनुसार काम हो गा । आप की आज्ञाओं के अनुसार सब काम हों गे मैं अपनी इच्छा के अनुसार लता लगाऊँ गा मैं अपनी इच्छाओं के अनुसार सब करूं गा अनुसार' न एकवचन है, न बहुवचन; अव्यय है। आगे कोई विभकि भी वैसी नहीं; फिर भी सर्वत्र ‘के है । यदि संज्ञा होती, तो 'क' प्रत्यय आता- ‘श्राप के वचन का अनुसरण । | अव्यय के योग में सम्बन्ध-प्रत्यय नहीं, सम्बन्ध-विभक्तियों का प्रयोग होता है। मी के अनुसार लड़का है । मा के इधर-उधर बच्चा घूम रहा है। मा के आगे अच्छी है। मा के नीचे आसन है। मा के बगल में छोटी लड़की है। तेरे सामने ही सब कुछ है। हमारे पीछे क्या होगा, नहीं कहा जा सकता । मेरे पीछे और तेरे पीछे भी संसार रहे गा ।