पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/३९६

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( ३५१ ) | जितने गुण महाराज रघु में थे, उतने गुण अन्य किसी में नहीं देखे- सुने ।' यहाँ दूसरी बार गु' शब्द का प्रयोग ठीक नहीं । “उतने के साथ ‘गुण’ स्वतः आ लगे गा | सीधी बात है ।। यह भी ध्यान रखने की चीज है कि दिए गए विशेषण झा ठीक अन्वय बैठता है कि नहीं ! | *स्वर्गीय भूला भाई देसाई ने ‘लाद हिन्द फौज के मुकदमे में बचाव- पक्ष की पैरवी बहुत जोरदार. की थी । यहाँ स्वर्गीथ’ विशेषण का पैरवी करने से संबन्ध नहीं बैठता ! कोई स्वर्गवासी यहाँ किसी अदालत में किसी की पैरवी करने नहीं आया करता है ! इस लिए ‘श्री भूला भाई देसाई का स्वर्गीय विशेषण गलत है। जब पैरवी कर रहे थे, तब स्वर्गीय' नहीं थे और ‘स्वर्गीय होने पर कभी किसी अदालत में पैरवी करने नहीं आए। इसी तरह स्वर्गीय वैद्य श्री रामचन्द्र द्वारा स्थापित' अदि में स्वर्गीय गलत प्रयोग है। स्थापित करते समय वे ‘स्वर्गीय' न थे । “वैद्य श्री रामचन्द्र द्वारा स्थापित लिखना चाहिए। वे अब वर्तमान हैं, या स्वर्गीय हो गए, यह जिज्ञासा पृथक् है । हाँ, यहाँ ‘स्वर्गीय विशेषण ठीक कहा जा सकता है--."उस समय स्वर्गीय भूला भाई देसाई भी हम लोगों के बीच वर्तमान थे,—यानी हो अब स्वर्गीय हैं, उस समय हमारे बीच वर्तमान थे। इसी तरह ‘स्वर्गीय श्री गणेश शंकर विद्यार्थी उस समय कानपुर की सभी हलचलों में आगे रहते थे।' यहाँ भी उस समय से मतलब निकल जाए गए। यदि यह शब्द हटा दें, तो---‘स्वर्गीय विद्यार्थी जी ने ‘प्रताप' को जन्म दिया गलत प्रयोग हो या। विद्यार्थी जी ने प्रताप को जन्म दिया था, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। ऐसा कुछ कहना चाहिए । विवाह के निमंत्रण-पत्रों में कभी-कभी यह ‘स्वर्गीय शब्द सब से पहले आ कर बहुत खटकता है- ‘स्वर्गीय लाल••'के पुत्र श्री'•••••का विवाह'••| यहाँ ‘स्वर्गीय विशे- षण' बहुत बुरा । ‘लाला ••• 'के पुत्र"." र्थी प्रयोग चाहिए। • इसी तरह की बातें वाक्य-योजना में विचारणीय होती हैं। यह बिस्तार से कहने को स्थान नहीं है ।