पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४०५

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( ३६० ) केवल समास में ही नहीं, वाक्य में भी सामान्य-प्रयोग होता है, यदि विवक्षावश ( पु० के साथ ) स्त्रीलिङ्ग कर्ता भी सामने हो- कश्यप और अदितिं प्रणाम करते हैं। अन्त में अदिति' का प्रयोग है; पर क्रिया सामान्य पुल्लिङ्ग करते हैं। है ।। यहाँ ‘अदिति का प्रथोर जरूरी है । “अश्यप प्रणाम करते हैं कहने से यह अर्थ नहीं निकल सकता कि अदिति भी प्रणाम झर रही हैं । “एकशेष' जातिवाचक संज्ञाओं में ही होता है---‘घोड़े और घोड़ियाँ-‘घोड़े' । “घोड़े बाजार में बिकते हैं' का मतलब यह कि ‘बोड़ियाँ और घोड़े बिकते हैं। ‘भैसे और भैंसे-‘भैसे-स्त्रीलिङ्ग । पुल्लिङ्ग का लोप । भैंसे चर रही हैं कुइने से 'भैसे' भी गृहीत हो जाते हैं। इसी तरह ‘आदमी और औरतें- “आदमी' । मेले में लाखों आदमी थे ।' आदमी' शब्द से ‘औरतें भी समझी जाती हैं। परन्तु स्त्री-पुरुष मिल कर गृहस्थी चलाते हैं यहाँ ‘स्त्री' विशेष रूप से विवक्षित है; इस लिए लोप न हो गा । इसी तरह ‘स्त्री-पुरुष दोनो श्री रहे हैं' में भी एकशेष न हो गर । यदि सभी कर्ता-कारक स्त्रीलिङ्ग ही हों, तब कोई झगड़ा ही नहीं; स्त्रीलिङ्ग-बहुवचन क्रिया हो जाए गी- | गौएँ और बकरियाँ यहाँ बैठती हैं। एक और एक मिल कर ‘अनेक' हो जाते हैं और इस लिए दोनों को ध्यान में रख कर क्रिया बहुवचन हो जाती है-कश्यप और अदिति प्रणाम करते हैं। परन्तु यदि कर्ता-कारकों को क्रिया के प्रति पृथक् पृथक् अन्वय अभिप्रेत हो, तो क्रिया में एकवचन ही रखते हैं-- ‘राजधानी में राजा और उस का मंत्री रहता है। | राजा रहता है और उस का मंत्री रहता है। दोनों की अपनी-अपनी पृथक स्थिति-सचा है। इसी तरह ‘उसी समय मोहन और उस का नौकर आ पहुँचा और तब एक बुढ़िया और उस की लड़की आई' आदि में समझिए । ऐली ( पृथक् विवक्षा ) की स्थिति में “कशेष' भी नहीं करते- वहाँ सैकड़ों गौएँ और बैल जमा थे?