पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४०६

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(३६१)

(३६१ ) कर्म-कारक में भी-

  • वहाँ मैं ने सैकड़ों गौएँ और बैल देखे

“बकरियाँ और बकरे कसाई ने लिए ऐसी स्थिति में सामान्य-प्रयोग पुल्लिङ्ग ( क्रिया का ) होता है; इस लिए पुल्लिङ्ग ही कर्ता या कर्म अन्त में { क्रिया के पास ) रखना चाहिए। बहुत-सी बकरियाँ और बकरे देखे बकरियाँ के साथ क्रिया देखीं' के रूप में आ कर अन्चित हो गी और “बहुत-सी' विशेषण “बहुत-ले' बन कर बकरे के पहले लग जाएगा । ‘बहुत- सी बकरियों और बहुत-से बकरे कहने से शब्द की पुनरुकि बुरी लगती है। इसी तरह ‘देखी’ ‘देखे' एक ही वाक्य में अच्छे नहीं लगते । सामथ्र्य से ही रूप-भेद हो कर अन्वये हो जाता है। समास में--बहुत-से स्त्री-पुरुष देखे' । बहुत-सी स्त्रियाँ और बहुत-से पुरुष ।। यदि एकवचन तथा बहुवचन कुर्ता या कम साथ-साथ आएँ, तो पहले एकवचन रखना चाहिए- | ‘वह बुढ़िया और उस की लड़कियाँ भा गई एकवचन अन्त में करने से ठीक न रहे गा-- ‘वे लड़कियाँ और उन की मा आ गई ‘मा श्री गईं सुनने में अच्छा नहीं लगता ।। पृथक-विवक्षा में अन्तिम कृत यो कर्म के अनुसार क्रिया का रूप होता है- ‘गरमी और हवा के झकोरे क्लेश देते थे ऐसी जगह पुल्लिङ्ग शब्द ही अन्त में रखना चाहिए, क्योंकि सामान्य प्रयोग क्रिया का पुल्लिङ्ग में होता है, जो कि स्त्रीलिङ्ग के साथ भला न लये गा । कभी-कभी ‘धन-सम्पत्ति, राज-अधिकार; सब कुछ चला गया?