पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४१२

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( ३६७ ) तब वह सामने ही है; इस लिए लिखना चाहिए---उत्तीर्ण हुई और इन्हों ने हिन्दी में विशेष योग्यता प्राप्त की। इन की जन्म तिथि जून १६.४० है । | किसी पुस्तक या पत्रिका पर सम्मति देते हुए लोग लिख देते हैं---

  • देखी । वह बहुत उपयोगी चीज है। उस का प्रचार होना चाहिए ।' थे

गलत प्रयोग है । यह बड़ी उपयोगी चीज है । इस का प्रचार होना चाहिए थीं प्रयोग चाहिए। 5सन्त ने भक्त से कहा- क्या तु नहीं जानता कि में कौन हूँ ??? यहाँ दूसरे वाक्य में मै’ शब्द भ्रम में डालता है। ‘सन्तु' का परामर्श नै’ से किया जाए, या 'भक्त' का ? यदि “सुन्त' ने अपने लिए 'मैं' का प्रयोग किया है, तो वाक्य यो चाहिए-क्या तू मुझे नहीं जानता ?' यदि

  • भक्त के लिए ‘भै” है, तो, चाहिए–'क्या तू अपने आप को नहीं जानता ?'

इसी तरह ~~ “बाबू साहब ने मुझ से आप से यह लिखने को कहा था कि इस ( बाबू साहन ) उन के ( श्राप के ) पत्र का उत्तर कुछ विलम्ब से देंगे । यह बड़ा अटपटा वाक्य है। ‘मुझ से आप से तो साफ गलत है।

  • अप को चाहिए। परन्तु फिर भी कितना लचर वाक्य है ! कितनी जगह

कोष्ठक में शब्दों का खुलासा करना पड़ा ! वाक्य साफ चाहिए “बाबू साहब आप के पत्र का उत्तर कुछ विलम्ब से दें गे | यह सूचना देने का काम उन्हो ने मुझे सौंपा था । और भी बीसौं तरह से यही बात साफ लिखी जा सकती है। ‘क्या तुम सगझते हो कि मैं मूर्ख हूँ ?' । ‘क्या तुम समझते हो कि मैं विद्वान् हूँ ?’ इन वाक्थों में सन्दिग्धता है। समझते हो के पहले, कोष्ठक में ( मेरे विषय में ) तथा ( अपने विषय में ) जैसे शब्द दिए बिना काम न चले गा ! क्या लाभ } सीधे कहना चाहिए 'क्या तुम मुझे मूर्ख समझते हो ?' ‘क्या तुम अपने आप को विद्वान् समझते हो ?'