पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४२३

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(३७८ ) मर्ग---यानी कवि जनों के चलने का बढ़िया रास्ता, जहाँ कोई झंझट न हो । कविता बनाने के लिए अनेक पद्धतियाँ लोगों ने बताई हैं; जिन में से कोई सरल और सुन्दर हो सकती है । ‘कवि-जमार्ग में कदाचित् इसी पद्धति का निरूपण हो, जिस पर चल कर कवि बन सकते हैं । इन दो अर्थों में से कौन सा कवि-राज-मार्ग को अभिप्रेत है, पता नहीं लग सकता । यदि पहला अर्थ अभिप्रेत है, तो कविराजमार्गा' शब्द चाहिए और दूसरा अर्थ है, तो कविराजमार्ग चाहिए। यानी समाससूचक चिह्न का एक ही बार प्रयोग इस शब्द में चाहिए। कभी-कभी न समास-सूचक चिह्न ही दियो जाता है, न शिरोरेखा ही अविच्छिन्न रहती है-हिन्दी शब्द-निर्णय' । विराम-चिह्नों को उचित प्रयोग वाक्य के अर्थ को चमका देता है; परन्तु अविचारित प्रयोग सब कुछ बिगाड़ देता है। बहुत अधिक विराम-चिह्न यदि दे दिए जाएँ, तो उस से भी वाक्य भद्दा लगता है, जैसे चेचक के दाग भरे हों ! सभी चीजें यथास्थान आवश्यक मात्रा में ही अच्छी लगती हैं । वाक्य के प्रकार यहाँ तक वाक्य की विभिन्न इकाइयों के स्वरूप तथा उन के प्रयोग पर संक्षेप में विचार किया गया ! अब, अध्याय समाप्त करने से पहले 'वाक्य- प्रकार’ पर भी एक दृष्टि डाल लेनी चाहिए। 'मैं जाऊँगा' राम ने भोजन नहीं किया ये साधारण वाक्य हैं। जब ऐसे कई वाक्य मिल कर एकवाक्य' के रूप में आते हैं, तो उस ( मिले हुए ) वाक्य को संयुक्त वाक्य' कहते हैं । ‘मैं गया और तू सोया यहाँ ‘और’ ने दो वाक्यों को जोड़ रखा है; इस लिए यह संयुक्त वाक्य है। मेरा बाना और तेरा सोना एक साथ; यह बतलाना प्रयोजन है। कहीं सहयोग या काम का बँटवारा- मैं रोटी बना लें गा और तुम बर्तन धो लेना कभी वैषम्य प्रकट होता है- राम कमा-कमा कर लाता है और उस का बेटा सब उड़ा देता है।