पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४३४

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मराठी, बँगला, उड़िया आदि विभिन्न भारतीय भाषाओं में ग्रहीत है। प्रत्यय मात्र का भेद सर्वत्र है । उठना, बैठना, सोना, जागना श्रादि कृदन्त भाववाचक संज्ञाएँ हैं । यहाँ

  • भव' का अर्थ है ‘शुद्ध घात्वर्थ । 'शुद्ध' का अर्थ यह कि धात्वर्थ के साथ

कोई कारक, काल, या 'पुरुष' आदि की प्रतीति नहीं । क्रिया का स्वरूप मात्र प्रकट है । क्रिया-सामान्य के बाद इन (‘उठना' आदि ) शब्दों से यदि प्रत्यय ( ‘ना' ) हटा लें, तो अवशिष्ट अंश ‘धातु' भर रह जाता है । परन्तु धातु की यह लक्षण नहीं, एक मोटी पहचान है। कारण, हिन्दी में--काल-विशेष प्रकट करने के लिए और किञ्चित् अर्थ-भेद ले कुर---‘ह तथा धातुएँ ऐसी चलती हैं, जिन से भाववाचक संज्ञाएँ या क्रिया के सामान्य रूप नहीं बनते । “हैं' में ह' धातु है, जिस में 'इ' प्रत्यय लग कर और वृद्धि-सन्धि हो कर 'है' रूप बनता है। इसी 'ह' से भूतकाल में ‘त प्रत्यय हो फुर ( पुंविभक्ति के योग से ) इता' रूप बनता--चलता है, ब्रजभाषा में इत' । हता' को उलट-पुलट कर ‘था' बना हैं । यों ‘ह' की स्थिति है। इसी तरह 'ग' की भूतकाल में । “ग' से 'य' प्रत्यय फर के *या' रूप बनता है। वर्तमान काल में इन के प्रयोग नहीं होते; जैसे कि संस्कृत में

  • असू' के भूतकाल अादि में नहीं होते । वहाँ भूतकाल में ‘अस्’ की जगह

'भू' के रूप चलते हैं—भाम्रा की ऐसी प्रवृत्ति है । हिन्दी में 'हो' तथा 'ह दोनो ही आवश्यक हैं । एक के भी बिना काम नहीं चल सकती। इसी तरह ‘जा’ के स्थान पर, भूतकाल में ' की जरूरत है। वाया है’ को ‘जाया है' नहीं कर सकते और न जाता हैं' की जगह ‘गता है' कर सकते हैं। वर्तमान काल में धातु कृी गुरुता प्रचलित है । एक ही ( ह्रस्व ) वर्ण की घातु का वर्त- मान काल में प्रयोग नहीं होता। संस्कृत 'या' में दीर्घ स्वर है, गुरुता है। उसी के यू’ को ‘जु' कर के बर्तमान में जाता है’ रूप गृहीत है। यही जा’ भविष्यत् तथा विधि श्रादि में भी है। भूतकाल में 'ग' से गया है । संस्कृत में भी वर्तमान काल की क्रियाओं में गुरुत्व देखा जाता है, भूतकाल भले ही लधु' रूप से हो । गत्यर्थक 'इ' धातु से संस्कृत में वर्तमान काल की क्रिया ‘एति’ बनती है। यानी ह्रस्वःया लघु ‘इ' को गुरु ( द्विमात्रिक ) ‘ए’ कर दिया गया । परन्तु भूतकाल(कृदन्त) में इतः' रूप होता है-इतः-रातः । ‘गतः भूतकाल में ग' मात्र है; परन्तु वर्तमान में ‘गच्छति' । 'गच्छ’ शुरु है। हिन्दी भी वर्तमान में धातुगत