पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४५६

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(४११ ) हिन्दी में ऐसा नहीं है। यहाँ वर्तमान काल की क्रियाएँ सदा कर्तृवाच्य’ रहती हैं। मैं उठता हूँ' को बदल कर मुझ से उठा जाता है। ऐसा भाववाच्य रूप नहीं दे सकते । भाषा को यह ग्राह्य नहीं है। इसी तरह लड़के वेद पढ़ते हैं। को ‘लड़कों से वेद पढ़ा जाता है' यो कर्मवाच्य नहीं कर सकते । परन्तु शक्ति-निषेध में भाववाच्य तथा कर्मवाच्य प्रयोग होते हैं-- मुझ से उठा नहीं जाता लड़कों से उठा नहीं जाता लड़कियों से उठा नहीं जाता फर्ता में.चाहे जो परिवर्तन कर दो, क्रिया सदा पुल्लिङ्ग–एकवचन रहे गी | हिन्दी में भाववाच्य क्रियाएँ सदा गुल्लिङ्ग–एकवचन रहती हैं । तिङन्त भाववाच्य सदा अन्य पुरुष एकवचन | उठा जाता' कृदन्त क्रिया है। इसी तरह सफर्मक--- राम से रोटी नहीं खाई जाती। लड़की से चने नहीं चबाए जाते कर्ता 'राम' पुल्लिङ्ग है; पर क्रिया खाई जाती कर्स ( ‘रोटी’ ) के अनुसार स्त्रीलिङ्ग । दूसरे उदाहरण में कुर्ता ( लड़की ) स्त्रीलिङ्ग-एकवचन है; परन्तु क्रिया ‘चने’ (फर्म ) के अनुसार पुल्लिङ्ग --बहुवचन - इन्चबाए जाते' । यो लिङ्ग, वचन तथा पुरुष फर्म के अनुसार क्रिया में रहते हैं, जब शक्ति-निषेध करना हो। कत की अशकतो ही ध्वनित करने के लिए ‘कर्मणि प्रयोग समझिए। जिसमें शक्ति ही नहीं, उसे का अनुरमन कोई क्य कृरे १ इस तरह की क्रिया को काव्य में नहीं बदल सकते । मन- चाहे प्रयोग करने की छूट नहीं है । अर्थ के अनुसार शब्द की गति हिन्दी में बदलती है । शक्ति-विधान में भी कर्मवाच्य प्रयोग होते हैं. यह काम तुम से ही संभव है । ऐसे काम आप से ही हो सकते हैं? अादि अकार्य- कर्तृत्व में भी । ‘हो’ का यहाँ सफर्मक-प्रयोग है। भविष्यत् काल की भी क्रियाएँ सदा कर्तृवाच्य रहती हैं-- • लड़का सोए गा--लड़के सोएँगे लड़की सोए गी-लड़कियाँ सोएँ गी