पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४६९

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परन्तु *तुम ने उठा' या “हम ने सोया' जैसे रूप हिन्दी में नहीं होते ! कर्तृवाच्य ‘तुम सोये' “हम उठे' प्रयोग होते हैं । संस्कृत में अवश्य ‘युष्माभिः सुप्तम् अस्माभिः उत्थितम्' जैसे प्रयोग ( भाववाच्य ) होते हैं । हिन्दी में अकर्मक धातुओं से 'य' प्रत्यय प्रायः कर्तरि' ही होता है; कहीं नहाना आदि का भाववाच्य रूप भी । कभी-कभी सकर्मक क्रियाओं के भी किर्तरि प्रयोग होते हैं; यदि कर्म ( अविवक्षित होने के कारण ) प्रत्यक्ष न हों---‘कुछ तू समझा, कुछ मैं समझा' । यहाँ ‘कुछ कर्म नहीं, ‘क्रिया-विशेषण' है। कर्म होता, तो कत में 'ने' विभक्ति लगती । 'तू ने कुछ समझा’ कर्मवाच्य है। ‘कुछ कर्म है । संस्कृत से एक मौलिक भेद संस्कृत से हिन्दी में यहाँ एक और मौलिक प्रयोग-भेद है । संस्कृत में सफर्मक क्रियाओं के--कर्म की उपस्थिति में-भाववाच्य प्रयोग नहीं होते हैं । यहाँ कृदन्त सकर्मक क्रियाएँ ( भूतकाल की ) कभी भी भाववाच्य न हों गी । उपस्थित फर्म के अनुसार ही उन के लिङ्ग-वचन हौं गे । परन्तु हिन्दी में स्थिति भिन्न है। राम ने पुस्तक देखी' फर्मवाच्य प्रयोग है। राम ने पुस्तक को देखा ऐसा भाववाच्य प्रयोग नहीं होता । परन्तु 'हमने लड़की देखी और 'हमने लड़की को देखा य उसी क्रिया के कर्मवाच्य और भाववाच्य दोनो तरह के प्रयोग होते हैं । और ‘इम ने तुमको देखा' या 'तुम ने हम को देखा' केवल भाववाच्य । “तुम' और 'हम'--कर्ता और फर्म दोनो ही- बहुवचन है; परन्तु क्रिया एकवचन है-*देखा। यह भाववाच्य क्रिया कभी भी कर्मवाच्य नहीं बनाई जा सकती । 'हम ने तुम देखे' या 'तुम ने हम देखे हिन्दी में गलत प्रयोग हो । ‘मालिकों ने नौकरों को मारा है। प्रयोग होता है और मालिक ने नौकर मारे हैं। ऐसा कर्मवाच्य भी । प्रथम ( भाववाच्य ) का मतलब यह है कि मालिक ने नौकरों के कुछ थप्पड़-धूंसे लगाए हैं और दूसरे ( कर्मवाच्य ) प्रयोग से यह मतलब निकलता है कि मालिकों ने नौकरों को जान से मार दिया है ! संस्कृत में सुकर्मक क्रिया सदा कर्मवाच्य रहती हैं, यदि कर्म उपस्थित हो । 'य' प्रत्यय भाववाच्य ‘आया करता है किया करता है। आदि संयुक्त क्रियाओं के पूर्वांश में

  • अंत्यय भिन्न चीज है । य भूतकालिक प्रत्यय कर्तरि', कर्मणि' तथा