पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४७०

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(४२५ ) ‘भावे त्रिधा चलता है; परन्तु अाया करता हैं आदि में दृष्ट ' प्रत्यय कालनिरपेक्ष है और सदा भाववाच्य रहता हैं—पुल्लिङ्ग--एकवचन । ‘राम अथा करता है लड़के आया करते हैं। लड़की आया करती है। सर्वत्र अयिा' रहे गा। सकर्मक क्रियाओं में भी--- १-लड़के दवा पिया करते हैं २–लड़कियाँ दवाएँ पिया करती हैं। ३-हम लोग शर्बत पिया करते हैं ४-तुम चाय पिया करते हो झर्ता के अनुसार करते हैं करती हैं। ऋरते हो' आदि में परिवर्तन है। परन्तु 'पिया' सदा एफरसे । सभी काल में भी - १-लड़के दूध पिया करते थे २–लड़कियाँ दूध पिया करें गी ३---तुम दूध पिया करो मे और ‘विधि' आदि में भी--- १-लड़के चाय न पिया करें २-तुम दुध पिया करो ३-हम भी दूध पिया करें यह ' प्रत्यय क्रिया का सातत्य प्रकट करता हैं । यों, यह ‘य' भित्र प्रत्यय है; इसी लिए लड़का जाया करता है होता है । भूतकाल में “जाया” नहीं, ‘गया होता है। सो, यह भाववाच्य ब्य' पृथकू चीज है ! हाँ, यहाँ अवश्य भूतकालिक | १-राम तुन्हें घर आया मिळे या २-मा को सुशीला घर अायी मिलती है। परन्तु यह ‘या’ ‘श्रयी' क्रिया-पद (अख्यात) नहीं, विशेषण हैं। रामः गृहम् आगतः” ( राम घर आया ) में 'आगतः' ( थी ) क्रिया है; परन्तु ‘गृहम् आगतं रामं पाठयामिभि’--(घर थे राम को पढ़ाता हूँ) में ‘श्रागतं