पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(४२६)

(४२६ } विशेषण है । 'या' या आगत' में भूतकालिक प्रत्यय अबश्य हैं । श्राना पहले हो चुका है। घर आए मित्रों ने कहा में आए श्रख्यात क्यों नहीं ? ‘मित्र बर अाए’ में ‘आर' अख्यात क्यो ? वैय्याकरणी ने स्पष्ट किया है-*क्रियान्तराकाङ्क्षानुपस्थापकत्वमाख्यातत्वम्-जिस ( कृदन्त ) में किसी दूसरी क्रिया की काहा न हो, वइ ‘ाख्यात' । आकांक्षा हो, तो विशेष आदि । ‘मित्र आए’ निराकाह है। ‘ाया करता है आदि के अाया' अादि पदो को लोग “भूतकालिक गलती से समझ लेते हैं; यद्यपि हिन्दी में भ्रम को दूर रखने की पूरी चेष्टा की है । ‘जा’ धातु से भूतकाल का ‘थ' प्रत्यये शायद इसी लिए नहीं हुआ है-- ग' धातु से विहित है---‘राम गया। ‘राम जाया नहीं होता; यद्यपि राम आया होता है। (राम गया” के हिसाब से राम गया होना चाहिए था।

  • रामः गतः'--राम गया। आगतः’ को ‘गया' ही हो सकता था । परन्तु

आ गया' में अर्थ-विशेष है। प्राथा’ और ‘आ गया' में अन्तर है । इस आ गया संयुक्त क्रिया का ध्यान रख कर ही आगतः के ‘अ’ मात्र अंश को ले कर हिन्दी ने उसे धातु रूप दिया । ) सो, भूतकाल में 'जाया' होता ही नहीं है । फिर भी कोई राम जाया करता है' में ‘जाया' को भूतकालिक बतलाए, तो क्या किया जाए ! | इसी तरह (राम श्राप गा' के गलत रू) *राम आयेगा' के आये को भूतकालिक बतलाया करते हैं ! पूछो, भूतकाल का भविष्यत् काल से क्या मेल-सामञ्जस्य ! वस्तुतः ‘आये गा’ ‘नाथ गा’ ‘खाये गा' आदि गलत प्रयोग हैं; यह अभी ये स्पष्ट हो गा ! युह 'य' प्रत्यय सामान्य भूतकाल प्रकट करता है। पूर्ण भूतकाल बनाने के लिए इस के साथ था' लगाते हैं—राम गये थे' “सीता गई थीं। त' पूर्णभूतकालिक यह 'ते' प्रत्यय पूर्ण भूतकाल या सुदूर अतीत प्रकट करता है। जैसे वर्तमान काल का इ' प्रत्यय केवल 'इ' धातु से होता है, उसी तरह यह 'त' प्रत्यय भी केवल 'इ' से ही होता है । 'य' प्रत्यय तो 'हो' से होता है, चिस के रूप ‘हुआ' 'हुए ‘हुई होते हैं । 'ह' से यह ‘त' प्रत्यय हो कर थारू बनता है-अन्न हुआ या वर्षा हुई थी। यों “हो” के साथ ‘हे’ अनु के प्रयोग