पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४७९

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सर्वत्र क्रियाएँ उना’ ‘नाना’ ‘जाना’ पुल्लिङ्ग-कवचन हैं; यद्यपि कत सम्र के भिन्न-रूप हैं। सहायक क्रिया ( हैं ) सर्वत्र अन्यपुरुष, एक वचन । भविष्यत् काल स्पष्ट है। ‘है' वर्तमान काल की क्रिया से भविष्यत् कुछ समीप प्रतीत होता है । “होगा' भविष्यत् काल की क्रिया के साथ दूसरी बात हो जाएगी १-राम को पुस्तक पढ़नी हो गई २---लड़कियों को पूजा करने जाना हो गा ३-इमैं रात भर जागना हो गी भविष्यत् काल के साथ-साथ कुछ परवशता भी प्रकट है। राम को पुस्तक पढ़नी हो गी' । कुर्ता की परवशता है; तव क्रिया उस के अनुसार क्या रहे ! भूतकाल का थ’ साथ रहने पर १-राम को पुस्तक पढ़नी थी २–हमें कानपुर पहुँचना था ३--तुम्हें वे सब काम करने थे जान पड़ता है कि ये सब काम जरूरी थे; पर किए नहीं गए । अवश्य- कर्तव्यता का निर्वाह नहीं हुआ। इस तरह की बहुत सी बातें संयुक्त क्रियाएँ प्रकरण में श्राएँ गरे । भ-प्रत्ययान्त कर्मवाच्य क्रिया के आगे वाहिए' भी लगा देते हैं, यदि विधि ऋदि प्रकट करना हो --- १---तुम को वेद पढ़ने चाहिए २-हम को ब्रह्मविद्या सीखनी चाहिए ३-राम को रसोई बनानी चाहिए माववाच्य भीः- १-लड़कों को सबेरे उठना चाहिए २०-उन्हें माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए