पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/४८०

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{ ४३५ } भूतकाल प्रकट करना हो तो १-तुम को वेद पढ्ने चाहिए थे। २-इम को ब्रह्मविद्या सीखनी चाहिए थी ३-लड़कों को सवेरे उठना चाहिए या । ४----लड़कियों को पूजा करने जाना चाहिए था। ऊपर के दोनो उदाहरण कर्मवाच्य और चे के दोनो भाववाच्य हैं। भूतकाल की थ' क्रिया के साथ दिए' का योग प्रकट करता है कि कैंसर फरना उचित था; पर किया नहीं जाय । साधारण स्थिवि में समझ के भी भाववाच्य-प्रयोग होते हैंदोनो के नाम-पते अलग-अलग लिस्वनी चाहिए।' राम को रोटी बनाना चाहिए । परन्तु भूतकालिक थ' के साथ ऐसा नहीं होता । तब ‘न'-~-प्रत्ययान्त सकर्मक क्रियाएँ कर्मवाच्य ही रहती हैं- १-राम को रोटी बनानी चाहि८ थी २-तुम्हें आना-काली ने करनी चाहिए थी। इस से स्पष्ट है कि स्वाभाविक प्रयोग २–प्रत्ययान्त सकर्मक के कर्म- वाच्य ही हैं । ‘इम को रोटी बनाना चाहिए था भी बोल देते हैं; परन्तु ठीक • नहीं लगता | हाँ, 'राम को पुस्तक पढ़ना अच्छा लगा है। यह ठीक हैं । यहाँ पढ़ना' भाववाचक संज्ञा है, श्रख्यात नहीं है 'विद्या सीखना अच्छा हैं'। 'विद्या का सीखना--विद्या सीखना । विभक्ति का लोप है । समास के बिना भी विभक्ति का लोय हिन्दी में होता है ।

  • सामान्य

त' प्रत्यय सकर्मक-अकर्मक सभी धातुओं से होता है । 'त' में पुंविभक्ति--ता'–होता, कारता आदि। यह प्रत्यय वस्तुतः सनी काल में चलता है। वर्तमान काल के लिए आगे है' का प्रयोग करना पड़ता है--- मैं इस घर में रहता हूँ तू कहाँ रहता हैं ? थ' के साथ प्रयोग करने पर क्रिया की प्रवृत्ति भूतकाल में प्रतीत होती है--