१–मैं साथ-साथ उदाहरण भी देता जाता हैं।
२–सीता जी मार्ग में राम से कुछ पूछती जाती थीं
३-हम साय-साथ वेद भी पढ़ते जाते हैं।
‘चलना' भी इसी तरह-
१-मैं साथ-साथ उदाहरण मी देता चलता हूँ
२---हम साथ-साथ वेद भी पढ़ते चलते हैं ।
'सीता पूछती चलती थीं न हो । यदि लक्ष्मण के मुहँ से यह बात
कृहलाई जाए, संस्मरण-कथा के रूप में, तो जरूर ठीक हो जा--सीता मार्ग
में राम से कुछ पूछती चलती थीं । चलना’ क्रिया में लक्ष्मण भी साथ हैं ।
भूत काल में-
१---मैं साथ साथ उदाहरण भी देता गया हूँ।
२---हम साथ-साथ वेद भी पढ़ते गए थे
बाना' क्रिया गत्यर्थक हैं; इस लिए भूतकाल में ( सफर्मक होने पर भी )
फर्तृवाच्यु प्रयोग–“मैं देता गया हूँ और हम पढ़ते गए थे' । यदि जाना
क्रिया अलग कर लें, तो फिर ये सकर्मक क्रियाएँ { भूतकाल में ) कर्मवाच्य
हो जाएँ गी-
१-मैं ने साथ-साथ उदाहरण भी दिए हैं।
२-राम ने साथ-साथ वेद भी पढ़े हैं।
दोनो तरह के प्रयोगों में अर्थ-भैद तो है ही।
यदि क्रिया में कर्ता की स्वाभाविक प्रवृत्ति, रुचि या आदत प्रकट करनी
हो, तो फिर-
कर सहायक क्रिया
काम में लाई जाती है। मुख्य धातु का रूप ऐसी स्थिति में भावात्मक रहता
है । 'य'-प्रत्यय भाववाच्य मुख्य धातु में लगता है। अन्य सब कुछ सहायक
क्रिया कर' से प्रकट होता है । “य' प्रत्यय भाववाच्य होने के कारण सभी
तरह के ( कर्ता-कर्म ) कारकों में और सभी झीलों में समान रूप से श्रन्वित
हो जाता हैं-
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