पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५२५

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( ४८० ) १- रामकृष्ण पाठशाला जाया करता है। ३-उषारानी , जाया करती है। ३-लड़के वे ,, जाया करते हैं। ४—मैं भी तो , जाया करता हूँ सर्वत्र वाच्य' तथा 'वचन'----पुरुष' सहायक क्रिया ( ‘कर' ) के द्वारा प्रकट हैं । ‘पूर्ण भूत काल' प्रकट करने के लिए केवल ‘ध’ का प्रयोग होता हैं। मैंने काम किया था' में कर’ को ‘किया है और आगे 'थ' । परन्तु सहायक अवस्था में साधारण ‘त' प्रत्यये का प्रयोग होता है--- क्रिया का जारी रहना जिस से प्रतीत हो-~- १-उषी पाठशाला जाया करती थी २-हम कार्यालय जाया करते थे ‘जाया की थी' या ‘जाया किए थे' प्रयोग न हों गे । 'कर' अपने रूप के साथ भी सहायक बन कर आती है और तब अवश्यः-- १--सावित्री काम किया करती थी २-हम तब पाठ किया करते थे यों किया' रूप मुख्य अंश में होता है। परन्तु यहाँ बह किया भूतकालिक 'य' प्रत्यय से नहीं है, वही भाववाच्य ‘यु' प्रत्यय है, जो सदा एकरस रहता है और इसी लिए वह वर्तमान, भूत, भबिष्यत् तथा विधि आदि के रूप में अवधि अन्त्रित हो जाता है--- १-हम सदा पाठ फिया करते हैं। २---तुम तब काम किया करते थे ३---वह भी काम किया करे गा ४----सीता भी कुछ किया अरे गी सर्वत्र किया' एकरस है । ‘किया' में यु' भूतकालिक प्रत्यय नहीं है। इसी लिए जाया करता हैं रूप होता है। यदि भूतकालिक प्रत्यय होता, तो “गथा करता है’ रूप होता । परन्तु उस भूत का वर्तमान से अन्वय कैसे होता ? इस बात को न समझ कर ही व्याकरणकारों ने किया करता था आदि के ‘क्रिया' को भूतकालिक प्रयोग समझ कर वैसा ही लिख भी दिया है !

  • करता था’ को ‘किया था इस लिए नहीं होता कि सहायक-अवस्था में यहाँ