पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५३०

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( ४८५ ) वैसे ‘ख’ धातु सकर्मक है और भूत काल में कर्मणि' ‘य-प्रत्यय आता है---राम ने रोटी वाई-लड़कों ने रोटी खाई। परन्तु संयुक्त क्रिया में तो चुक’--अकर्मक का इंजन लगा है। इसी लिए भूतकाल में लड़को उठा

  • लड़की उठी' की तरह लड़का रोटी खा चुका’ और ‘लड़की फल खा

चुकी’ प्रयोग होते हैं। सहायक क्रिया को जब आगे किया, तो उसी के अधीन 'वाच्य' ।। यदि एक बार की ही बात हो, तो मैं रोटी खा चुका था, तब मोहन या' और सदा की वह बात हो, तो 'मैं रोटी खा चुकता था, तब मोहन श्रोता था' । खा चुका' में ‘चुक' का भूतकालिक य-प्रत्यय से प्रयोग हैं। य' का लोप हो गया है--‘उठा बैठा' आदि की तरह । परन्तु क्रिया का सातत्य प्रकट करने के लिए जब सहायक में “त' प्रत्यय लगे गा, तब उस (च) का लोप न हो गा | 'मैं रोटी खा चुकती थी। अकर्मकता और कर्तृवाच्यता सहायक क्रिया में सदा रहे गी ही । पूरी क्रिया वा चुकी' या 'खा चुकी हैं। सकर्मक है ही। ‘रोटी' कर्म है। ‘अकर्तृक' प्रयोग में जा' सहायक क्रिया बीच में आ जाती है- १-~-रोटी खाई जा चुकी, तब तू श्रीया २---रोटी खाई जा चुके गी, तब तू अाए गा ! वर्तमान काल में त’-प्रत्ययान्त 'जा' के साथ, ले-दे” की सहायता ली जाती है-- १–ब रोटी खा ली जाती है, तब तू आता है। २–बेत्र प्रसाद बाँट दिया जाता है, तब मोहन श्रादा है। ३-अब काम कर लिए जाते हैं, तब तुम मुँह दिखाते हो ! स्पष्ट ही यहाँ ‘ले-‘हे’ भूतकाल में कर्मकर्तृक' हैं-‘प्रन्थ पढ़ लिया जाता है'-'संहिंता पढ़ ली जाती है। यु' भूतकालिक प्रत्यय है । कर्तृक प्रयोग है । अन्य जगह भी अकर्तृक ( कर्मकर्तृक ) प्रयोगों में जा’ और ‘लै-“दे की उपस्थिति रहती है- १-रोटी खाई जाती है, आम चूसा जाता है। २–ग्रन्थ पढ़े जाते हैं, अखबार देखा जाता है।