पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५३५

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१—तब तक मुन्ना रो उठा ! २-और वह मुर्दा जी उठा ! । दूसरे प्रयोग में जीने का और उठने का क्रम भी है; यानी “उठ' धातु ने अपना अर्थ छोड़ा नहीं है ।। ‘कर के साथ गुजरना' का भी प्रयोग उर्दू-शैली में होता है-- 'अब तो वह कर गुजरा, जो करना था !

मरना’

अनभीष्टता या उपेक्षा आदि के साथ-साथ आश्चर्य-आकस्मिकता आदि प्रकट करने में ‘मर' अकर्मक क्रिया सहायक रूप से आती है--- १-- इस झमेले में वह भी इजार-दो इजार ले मरा ! २—ऐसे समय न जाने कहाँ से वह आ मरा ! लेना’ क्रिया सुर्मक है; पर भूतकाल में अकर्मक जैसा ( कर्तृवाच्य } प्रयोग है। ‘मरना' सहायक अफर्मक है न ! विशेष बात पीछे “पूर्वकालिझ' तथा ‘क्रियार्थक क्रियाएँ दिखाई गई हैं। उन्हें संयुक्त क्रिया प्रकरण में नहीं रखा गया । कारण, वे संयुक” होती ही नहीं हैं! अपना-अपना ‘अर्थ’ सामने अलग-अलग रखती हैं। पढ़ कर जाए गा’---यानी पहले पढ़े गा, तब जाएगा। इस तरह क्रियाओं के काल में पौर्वाप भर विवक्षित है। वैसे दोनो क्रियाएँ पृथक-पृथक् हैं। इसी तरह राम पढ़ने जाए गा” में “जाना’ क्रिया पूर्वकालिक है; परन्तु पढ़ने का पूर्व प्रयोग है; स्पष्टता और सुबोधता के लिए । ‘पढ़ना है, इस लिए बाए गा । यों क्रियार्थक क्रियाएँ भी संयुक्त नहीं हैं। इस प्रकरण में क्रिया के जिस रूप का दिग्दर्शन हुआ है, उसे ही संयुक्त' कह सकते हैं। एक क्रिया दूसरी के अर्थ से अपना अर्थं मिला देती है; या 'अना' अर्थ बिलकुले छोड़ देती है और तब कोई विशेष अर्थं प्रकट करती है। लड़का यहाँ एक बार हो गया हैं? में 'हो' के आगे कर न लगने पर भी पूर्वकालिकता प्रकट है । एक बार यहाँ हो कर वापस चला गया है । यो इसे इस प्रकरण की संयुक्त क्रिया न कहे गे; परन्तु आज तो अनर्थ हो गया' में 'गया' सहायक क्रिया है । ‘हो गया' संयुक्त क्रिया है । ‘अनर्थ हुआ' में वह मनोभाव नहीं, जो ‘अनर्थ हो गया' में है।