पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५३८

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यहाँ एक बात सर्वत्र स्पष्ट है कि किसी अन्य भाषा का शब्द ले कर भी जब हिन्दी संयुक्त-क्रिया बनाती है, तो अपनी मुहर लगा देती है। ‘करता है' है' होता है। आदि अपनी क्रियाओं को आगे रख देती है। जब कई विभिन्न रेलवे-विभाग मिल कर, संयुक्त-रूप से, बहुत लम्बी यात्रा के लिए, कोई गाड़ी चलाते हैं, तो इंजन आबो उसी रेलवे का रहता है, जिस के क्षेत्र में वह गाड़ी उस समय चल रही हो। शेष सब ज्यों का त्यों रहता है। डिब्बे दूसरी रेलवे के पीछे लगे रहते हैं। प्रबन्ध भी सब उसी रेलवे का होता है; जिस के क्षेत्र में वह उस समय जा रही हो । वह वहाँ उसी रेलवे की गाड़ी कहलाता भी है—है भी । इसी तरह स्वीकार करत हूँ। मंजूर करता हूँ अादि क्रियाओं में करता हूँ” हिन्दी का इंजन लगा है। इस लिए थे क्रियाएँ हिन्दी की अपनी क्रियाएँ हैं। कभी-कभी ‘अपना प्रत्यय ही लगाना पर्याप्त–वक्त गुजरता है। गुजर' में त” अपना प्रत्यय और 'है' तो है ही। जैसा कि स्पष्ट है– था' 'अ गया’ ‘श्री पहुँचा’ ‘ा धुमका श्रा मरा' आदि में बहुत अन्तर है। सहायक क्रियाओं ने अर्थ में विशेषता पैदा कर दी है। यह विशेषता हिन्दी की अपनी विशेष चीन है। दूसरी भाषाओं में यह चीज नहीं मिलती । इसी लिए, हिन्दी की किसी एक संयुक्त क्रिया झा अनुवाद अंग्रेधी आदि में करने के लिए कठिनाई उपस्थित होती है, यदि एक “पद” की अनुवाद एक ही पद में करना हो । कठिनाई की बात क्या, हो ही नहीं सकता । एक क्रिया-पद का अनुवाद करने के लिए अनेक पद देने पड़े गे और कहीं-कहीं तो पर्यों का अनुवाद वाक्य में करना पड़े गा; तब मतलब निकले गा । इस लिए संयुक्त क्रियाओं का विस्तृत र स्वतंत्र वर्णन-विवेचन अपेक्षित है---अन्य भाषाभाषिर्यों के लिए। परन्तु समझने में यह विषय इतना सरल है कि योड़ी भी हिन्दी जाननेवाला सब कुछ झट समझ जाता है । विवेचन-विश्लेषणु दूसरी बात है। सूरज से प्रकाश और गरमी लेने के लिए उस के वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत नहीं; पर वैसा अध्ययन है बहुत बड़ी चीज । यही बात भाषा के व्यवहार था उस के स्वरूप-विवेचन के संबन्ध में है। इस प्रकरण को समाप्त करने से पहले दो-एछ और अविश्यक बातें कहने को हैं। वह जल कर भस्म हो गया उसे भस्म कर दें ग’ अादि में कुछ लोग भस्म होना' तथा 'भस्म करना' संयुक्त क्रिया समझ बैठते हैं ! ऐसी