पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५३९

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जगह केवल ‘होना करना' क्रियाएँ है; जैसे वह पढ़ कर विद्वान् हो गया।

  • उसे तुम ने पागल कर दिया' अदि में ‘विद्वान्' तथा 'पागल' बिधेय विशे-

षण हैं और क्रियाएँ केवल होना करना है; उसी तरह उन वाक्यों में।

  • भस्म है। हाँ, हो गया' तथा 'कर दें गा’ में जाना-देना' सहायक

क्रियाएँ अवश्य हैं और यों ये ‘संयुक्त-क्रियाएँ हैं। | मैं ने एक बकरी मोल ली है' में मोल लेना' अवश्य क्रिया है; परन्तु इसे संयुक्त क्रिया न कहें गे । हिन्दी में मोल’ कोई क्रिया नहीं है। मूल्य दे कर लेना--‘मोल लेना-खरीदना । यों “मोल लेना' जैसी क्रियाएँ एक शृथक् श्रेणी में आएँगी । नामधातु-प्रकरण में जिन क्रियाओं का निर्देश हो गा, वे ऐसी नहीं है। पाञ्चाली में ‘आम बिकन जात हैं; भोला तौ हम हूँ। लै लेनु'--आम बिकने वा रहे हैं; मोल-भाव करो, तो हम भी ले लें । यहाँ जनबोली में “मोला' नामघातु की चीज है। परन्तु 'मोल' के आगे लेना' क्रिया लगा कर ‘मोल लेना’ अलग चीज हैं। ‘मोल दे कर ली है....मोल ली है'; यो पूर्वकालिक क्रिया का लोप मान लें, तब तो कोई झंझट ही नहीं । इसी तरह- “हम यह पुस्तक उठा ले जा सकते हैं। यहाँ पाँच क्रियाओं का जमघट है । क्या यह संयुक्त क्रिया है ? देखिए । हैं तो सहायक क्रिया है ही और ‘जा सकते हैं संयुक्त क्रिया है। जाना’ यहाँ अपने मुख्य अर्थ में है। पुस्तक उठा कर ले जा सकते हैं । ‘कर' का लोप । पुस्तक ले कर जा सकते हैं-'ले जा सकते हैं। यहाँ भी कर’ का लोप | यों यहाँ केवल ‘जा सकते हैं। संयुक्त क्रिया है; शेष दोनो पूर्वकालिक क्रियाएँ । 'सभा-विसर्जन हो चुका, तब सब घर गए' लिखते-बोलते हैं । पृथक् भी। ‘सभा विसर्जन हो चुका' लिख देते हैं। का' की उपस्थिति स्वतः हो जाती है । परन्तु सभा विसर्जन हुई लिखना-बोलना ठीक नहीं । 'समा विसर्जित हुई चाहिए । “कमरी आलोक हो उठा नहीं, 'कमरा आलोकित हो उठी ।। हाँ ‘पुस्तक उसे ले जाने दिया करों में जाना' देन’ तथा करना ये तीनो अवश्य सहायक हैं। मुख्य क्रिया है ‘लेना' । थौं यह संयुक्त क्रिया हुई।