पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५४०

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परन्तु कथा का श्रारम्भ हुआ और उसे नींद आई’ और ‘कृथा श्रारम्भ हुई कि उसे नींद आई ये दोनो प्रयोग होते हैं । ‘कथा की श्रारम्भ हुआ मैं ‘आरम्भ' कर्ता है ओर ‘कथा आरम्भ हुई' में 'कथा' कतई है--‘अारम्भ हुई संयुक्त-क्रिया है---‘कथायाः आरम्भः अभवत्’ और ‘कथा श्रारब्धा अभवत् । संस्कृत में ‘कथा श्रारब्धा' से ही काम चल जाता है, अभवत्’ की जरूरत नहीं । परन्तु हिन्दी में तो 'आरम्भ होना संयुक्त क्रिया है।

  • श्रारम्भ’ कोई ‘विधेय-विशेषण' नहीं । इस लिए ‘कथा आरम्म हुई बोला

जाए गा । कथा विसर्जित हुईं के टॅग पर ‘कथा प्रारब्ध हुई हिन्दी में न बोला जाए गा । - यह है भाषा की प्रकृति । क्यों ऐसी प्रकृति बनी, पूछा जा सकता है; परन्तु उत्तर भाषा-विज्ञान दे गा ! ‘सभा भंग हो गई’ में

  • भंग होना मुख्य क्रिया है और ‘गई सहायक क्रिया । 'समा भंग हो गया

न हो गा । ‘भंग' कर्म नहीं, क्रियाश है ।। ‘कथा आरम्भ हुई” या कृथा विसर्जित हुई क्रियाएँ कर्मकर्तृक हैं।

  • सभा भंग हो गई भी कर्मकर्तृक प्रयोग है। सभा भंग करता हूँ।

कर्तृवाच्य है ।। थौं संक्षेप में यह विशेष प्रकार की संयुक्त क्रियाओं का प्रकरण नमूने के लिए दिया गया । = =