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चतुर्थ अध्याय

नामधातु

सुवर्ण-पीतल आदि धातुओं से विविध आभूषण तथा पात्र आदि बनते

हैं और वे सब फिर घातु-रूर में आ जाते हैं। इसी तरह भाषा में धातुओं से विविध अख्यिात तथा ( कृदन्त ) संज्ञा-विशेषण आदि बनते हैं। कालान्तर में इतना रूप-परिवर्तन हो जाता है कि लोगों के ध्यान में ही नहीं आता कि यह शब्द किस धातु का है ! परन्तु ऐसे शब्दों से फिर श्रख्यात बन जाते हैं--संज्ञा से क्रिया ! क्रिया से संज्ञा और विशेषण आदि तथा संज्ञा और विशेषण श्रादि से क्रिया-पद---‘नामधातु' ।। कभी-कभी यह भी पता नहीं चलता कि यह धातु है या नामधातु ।

  • सूखना' क्रिया है--किसी चीज को शुष्क झरना । सूखता है' मूल क्रिया

और सुखाता है उस की प्रेरणा ।। परन्तु हिन्दी की पूरबी बोलियों में धोती सुखाति है' बोलते हैं, जिस की प्रेरणा धोती सुखावत है' बोला जाता है। राष्ट्रभाषा में धोती सूखती है। यानी एक जगह 'सुख' धातु और अन्यत्र ‘सुखा' नामधातु है । क्या बात है? । बात यह है कि सूख’ मूलतः हिन्दी की धातु है, जिस का विकास सं० शुष्’ से सीधा है । “सुखाति है' में ‘सुखा' नामधातु है। ‘सूला पड़ गया' आदि में सूखा' भाववाचक संज्ञा है और ‘सूखा ईधन' आदि में सूखा' विशेष है। ‘सूखापन का आ जाना जन-भाषा में ‘सुखान' है। यानी ‘धोती सुखाति है' में “सूख’ विशेषण से नामधातु है ‘सुखा । नामधातु बनाने में प्रत्यय लगता है और 'नाम' या विशेषण का प्रथम स्वर ह्रस्व हो जाता है- 'हाथ'-'इथियाना' । मूल धातु सूख’ | उस से भाववाचक संज्ञा सूखा और विशेषण भी सूखा' । इसी सूखा' से 'सुखा' नामधातु--‘धोति सुखाति है। वहीं मूल धातु के भी प्रयोग होते हैं—“धोती सूखति है । यह राष्ट्रभाषा के ‘सूखती हैं' का रूपान्तर ‘सूखति है'। इसी तरह ‘जम कर लड़ा’ ‘वीर युद्ध में जमता है, कायर उखड़ता है यह ‘जमना' मूल क्रिया है, या नामधातु १ इसी से जाम' संज्ञा है । और