पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५४९

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परन्तु परसों एकादशी है' में सत्ता कादशी की इस समय नहीं है। इस समय एकादशी नहीं है-वह वर्तमान नहीं है। पर उस की सत्ता अपनेवाली है । तब वर्तमान कैसः । भविष्यत् को अति खन्निकट प्रकट कहने के प्रयोजन से, भविष्यत् का वर्तमान काल में, लाक्षणिक प्रयोग भी यह नहीं है । वैसा भाव प्रकट करने के लिए तो भूतकाल का प्रयोग हो गा---'अरे भाई, पर एकादशी भी ऋ गई। यानी अब एकादशी के श्रादे में देर क्या है ? सो, वरसों,एकादशी है। एक सामान्य कथन है। वर्तमान काल नहीं हैं। सारांश यह कि 'है' तिङन्त के सहयोग से साधारण ‘त' प्रत्यय साधारण प्रवृत्ति प्रकट करता है और आज’ आजकल इस समय अादि साथ हो, तो वर्तमानता भी क्रिया को प्रकट होती है। त' के साथ 'है' लगः देने से जैसे साधारण प्रवृत्ति प्रकट होती है और शब्दान्तर के योग से वर्तमानता क्रिया की प्रकट होती है, उसी तरह ( इसी त’ के साथ ) भूतकाल की ‘या’ क्रिया जोड़ देने से ( क्रिया की ) भूतकालिकता प्रकट होने लगती है---‘राम पढ़ता था। यदि इसी ‘त के आगे “हो गा’ जोड़ दें, तो क्रिया की (वर्तमान काल में) सन्दिग्ध प्रवृत्ति प्रकट होने लगती है—राम पढ़ती हो गा'। यदि संयुक्त वाक्य में त' के प्रयोग किसी सहायक क्रिया के बिना हो, तो हेतुहेतुमद्-भूत बन जाता है--- ‘बर्षा होती, तो नाज होता' । ‘साम्प्रदायिकता न बढ़ती, तो देश छिन्न-भिन्न न होता ।' अवधी आदि में तिङन्त से वर्तमान काल और कृदन्त से साधारण प्रवृत्ति प्रकट होती है। संस्कृत पीड़ा' का तद्भव 'र' कर के दामधातु का *' प्रत्यय । प्रत्यय परे आने पर प्रकृति ( ‘पीर’ ) का प्रथम स्वर ह्रस्व । सव-दीर्घ–‘पिर' नामधातु । ‘पाईं घिरात हैं थों वर्तमान भी साधारणतः प्रकट हो जाती है। तिङन्त ' प्रत्यय संस्कृत “ति’ का ही व्यंजन-रहित रूप है–पिराइ’। इ’ वैकल्पिक य–पिरय” । बहुवचन अनुनासिक-- *पिराईं-पिरायें'। पुल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग में तिङन्त क्रिया एक जैसी रहे गी । 'वि' उपसर्ग के साथ संस्कृत क्री’ धातु (‘विक्री’ ) को ‘बिक्री के रूप में हिन्दी ने अपनी भावाचक संज्ञा बना ली । “विक्रय से भी ‘बिक्री संभव है। “य’ को ‘ई कर के। साथ ही बिक्री’ को ‘बेच कर के अपनी सकर्मक धातु भी बना ली–राम पुस्तक बेचती हैं। क्रीणाति’ को ‘क्रीण' अंश पूरब में “किन' धातु बन गया । “किनना-खरीदना । परन्तु राष्ट्रभाषा में खरीदने के छों में ‘किन बातु नहीं चलती । यहाँ विदेशी खरीद’ शब्द ले कर अपने 'त’