पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/५५३

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इसी तरह थूक जाए ग’ ‘थक जाएगी ‘थक जाऊँ गा’ ‘थक जाता है' इत्यादि । सीता चलते-चलते थक गई में द्विरुक्ति के दोनो अंश भाववाचक त’ प्रत्यय से हैं। पुविभक्ति के ' को 'ए' हो जाता है, ऐसी स्थिति में। सीता चलत-चलती थक गई में चलत-चलती' कर्तृवाच्य ‘त' प्रत्यय है। यानी सीता का विशेषण है, यह कृदन्त द्विरुक्त शब्द। लड़का लता-चलता गिर पड़ा' मैं चलती-चलत” वैसा ही विशेषण है। लड़की चलते-चलते थक गया' में ‘चलते-चलते एकवचन ही है, बहुवचन नहीं । बहुवचन में भी ‘श्रा’ को ‘ए’ हो जाता है, परन्तु यहाँ तो ‘लड़का' एकबचन है। तब चलते-चलते उस का विशेषण बहुवचन कैसे हो गा ? *लड़का चलता-चलता' में अवश्य चलता-चलता' विशेषण हैं। चलतीचलती गाड़ी रुक बाई' यहाँ विशेषण का पूर्व प्रयोग है। यदि विशेषण से क्रिया पर अधिक जोर देना हो, तो उस झा पर प्रयोग हो जाती है---‘गाड़ी चलती-चलती रुक गई। इसी तरह ‘लड़का चलता-चलता थक्क गया। परन्तु तो भी इसे 'विधेश विशेषा' न कहें गे } कार, मुख्यतः विधेयता तो ‘थक जाने पर है। पूर्व-प्रयोग की अपेक्षा पर-प्रयोग में जोर अवश्य ज्यादा श्रा जाता है । इस विश्लेषण से वह जिज्ञासा भी शान्त हो जाती है कि लड़का चलते-चलते थक गया. ठीक है, या चलता-चलता’ ! दोनो प्रयोग शुद्ध हैं-- एक में द्विरुक्ति भाववाच्य है, दूसरे में कर्तृवाच्य-विशेषण रूप में । यद अलग चीज है कि हाँ किस का प्रयोग किया जाए। 'चलने' का अन्वय दोनो तरह से एक ही जगह होता है । चलने से ही लड़का थका है। वहीं चलते-चलता' स्पष्टतः विशेष रूप से अन्वित हैं और चलतेचलते भाववाच्य द्विशक्ति से भी। यदि हेतु ( चलने } पर अधिक जोर देना हो, तो भाववाच्य प्रयोग करना हो -चलते-चलते' । विशेषण के रूप क्रिया दब जाती है । चलता-चलता' में 'त' प्रत्यय कर्तरि है, जो विशेषण रूप से प्रयुक्त है । विशेष्य प्रवाल होता है, विशेष उस का ही पिछलगू होता है, चाहे आये ही क्यों न कर दिया जाए ! लड़का चलता है' में 'चला है। मुख्य क्रिया है, प्रख्यात है। विधेयता चलने पर ही है। इस लिए इसकी प्रधानता का कोई प्रश्न ही नहीं । परन्तु चलता-चलता विशेषण है, हेतु-रूप । यहाँ क्रियांश अवश्य कुछ दब जाता है। इसी को