पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/८२

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बहुत पहले संस्कृत में भी उपसर्गों का स्वतंत्र पदों के रूप में प्रयोग होता या; यह बात हम पहले कई चुके हैं। कहीं-कहीं हिन्दी ने संस्कृत शब्दों का रूपान्तर न करके उसी हँग पर अपनी अलग चीज बनाई है। संस्कृत के उन्मूलन' शब्द के जोड़ का हिन्दी में उजड़हर' शब्द है । उल्’ की जगह हिन्दी ने अपना उपस 'ल' रखा और संस्कृत ‘मूल की जगह अपने जड़” शब्द को बैठा दिया। उन्मूलन' के जोड़ का ‘उजड़ना' शब्द तयार । इससे फिर ‘उजड़ता है ' आदि क्रियाएँ तथा ‘उजाड़' श्रादि संशाएँ । ‘उड्डु महामूर्ख को कहते हैं, जो अलग है। वह इस जड़ से नहीं है । संस्कृत का 'इ' वहाँ ज्यों का त्यौं रखा गया है, केवल 'ड' की द्विशक्ति कर दी गई हैं-जड़ता बढ़ाने के लिए ! अपना उत 5 * लगा दिया है-झरेल नीर पर चढ़ाई के लिए ! ऐसी अनन्त बातें हैं भाघा-विकास के मार्ग में । उदाहरणार्थ हिन्दी का अपना ‘जङ्ग शब्द ही ले जाए । ‘सूल' भी चलता हैं; र हिन्दी का अपना शब्द जुड़ है। ललिङ्ग क्यों बना ? कैसे बना ? मूल’ से इस ‘ज में विशेषता है । संस्कृत का हु० जड ( मूर्ख } आन्ध्कार पसन्द करता है, प्रकाश से घबराता है, नीचे की ओर जाता है ! यई सद हिन्दी के स्त्रीलिङ्ग अड़' (वृक्ष-भूल) में भी है । भिन्नार्थता सूचित करने के लिए स्त्रीलिङ्ग ! कैली कलात्मक रचना है ? विकास में अर्थ-भेद स्पष्ट हुने पर सबसे ज्यादा ध्यान रहा है। संस्कृत में 'स' तथा 'भू' ये दो धातुएँ हैं। साधारणतः लिख दिया गया हैं कि ‘अ’ ‘भू' के अर्थ में है और भू’ ‘अरू के अर्थ में-- सुवि-‘भू सत्ता- याम् । परन्तु वस्तुतः इन दोनों में अर्थ-भेद है । एक सत्तामात्र बताती है। और दूसरी प्रवृत्ति या प्रवर्तभानता की ओर इशारा करती है-राम विद्वान् हैं और कोई भी पढ़-लिख कर ही विद्वान् होता हैं । 'होती है-बनता है। इस अर्य-भेद को ध्यान में रख कर ही हिन्दी ने प्रकृत-मार्ग से उप-- युक्त दोन धातुओं का पृथक-पृथक विकास करके काम लिया है । ‘अस्’ का तो अना-बनाया रूप है ग्रहण कर लिया गया हैं और 'भू' का (भवति' भोति

  • भोदि’>} ‘होदि’ रूप देख कर उससे ही अलग करके अपनी धातु बना

ली । इस 'हो' धाडु में ‘त' इत्यय ला! कर और युविभक्ति के योग से होता अपनी कृदन्त क्रियः । आनो है' सहायक ॐिया जोड़ कर होता है' । 'है' का पृथक् प्रयोग भी होता है, पर होता भी है को हाथ लेता हैं, जैसे कि अन्य

  • करता ‘खाता’ ‘गत अादि कृदन्त क्रियाएँ । 'है' तिङन्त क्रिया है, जो