पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/९१

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प्रयोग-नियम ही लोग देखते हैं; उसकी भाषा का अनुसरण नहीं करते ।। पाणिनि ने ‘विका' के अर्थ में ‘विभाषा तथा अन्यतरस्याम्' शब्दों का भी प्रयोग किया है; परन्तु पाणिनि-अनुगत संस्कृत-ग्रन्थों में 'विकल्प' शब्द ही चलता है। विभाषा तथा अन्यतरस्यान्' नहीं। मैं यह हिन्दी-व्याकरण लिख रहा हूँ, तो ध्यान उद्योग-विधि पर है । वही यहाँ असली चीज है। मेरी भाषा में 'असली' ची ' जरूर' आदि विदेशी शब्द झाले हैं। रम प्राए हैं । मैं इन्हें जबर्दस्ती निकालता नहीं । बोल-चाल की भाषा में पुस्तक लिख रहा हूँ। इसलिए सदा-सर्वत्र सब लोग मेरी इस भाषा को ही हिन्दी का असली रूप समझे; ऐसा नहीं हो सकता, न होना चाहिए। दर्शनशास्त्र आदि की भाषा का रूप कुछ दूसरा ही होगा। बँगला भाषा में अस्सी प्रतिशत शब्द संस्कृत के हैं । कोई बंगाली सज्जन हिन्दी लिखेंगे तो जरूर 'जगह' आदि शब्दों का वह जगह कैसे मिलेगी ? आगे चल कर कोई भाषा-संशोधन करे और अनावश्यक विदेशी शब्दों की छंटनी कर दे, तो क्या कोई अचरज की बात है । परन्तु उस स्थिति में भी यह व्याकरण ज्यों का त्यों रहेगा; क्योकि यह तो शब्दों की प्रयोग-विधि समझाता है। किसी भी दूसरी भाषा का शब्द काई भाषा ले, उसे अपने व्याकरण पर, अपने निंबसों से चलाएगी । हिन्दी का ‘धती' शब्द अॅग्र जी ने लिया, तो वहाँ यह उसा के व्याकरश से अनुशासित होगा ! वहाँ बहुवचन “धोतियाँ नहीं, धनंज़' इगः । इसी तरह हसन अॅग्रे ॐ का ‘लन्टन' शब्द लिया। हिन्दी ने अपना प्रकृति-पद्धति के अनुसार उसे ‘लालटेन जैसा सुन्दर रूप दे दिया । अब यह हिन्दी-व्याकरण के अनुसार यहाँ ले । जो तद्रूप अँग्रेजी शब्द हिन्दी में ‘कोट’ ‘बटन' आदि अाए हैं, उनका भी प्रयोग हिन्दीव्याकरण के अनुसार होगा । यही स्थिति फारसी आदि के शब्दों की है । 'असर' तथा 'गरीब' शब्द अड्डुवचन में बहुत से अभीर भी हैं, गरीब भी हैं यों रहेंगे । बिदेशी-व्याकरण से इनके बहुवचन उमरा' तथा 'हिन्दी में न च । परन्तु मुसलमानी शासन-काल में उमरा' तथा 'गुत्र हिन्दी में चला जाने लगे थे । हिन्दी ने वह सब ग्रहण नहीं किया और वह उमर- शुत्र बाली हिन्दी { उर्दू नास से ) एके कृत्रिम रूप में शासन-बल से चलने लगी थी। ऋग्र अऊ उर्दू-सी भी राह पर आ रहे हैं और गरीबों की मदद सोचने लगे हैं, शुब की मदद छोड़ रहे हैं। आज की उर्दू यदि इस देश

  • { नारी ) ज़ि में लिखा जाए, तो वह राज शिवप्रसाद (सितारे हिन्द)

की हिन्द' बन जाए ।