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६८. नार्थ कवि-जन्मकाल १५८४ ई० राग कल्पद्रुम, ? सुंदरी तिलक । यह गोपाल भट्ट के पुत्र थे, व्रज में रहते थे । प्रस्तुओं एवं अन्य विषयों पर लिखी इनकी रचनाएँ राग कल्पद्रुम में हैं।

टि०---भक्तमाल छप्पय १५५९ में इन नाथ ब्रजवासी का विवरण है, अतः १५८४ ई० या सरोज का सं० १६४१ इनका उपस्थिति काल है ।' भक्तमा की रचना सं० १६४९ में हुई थी। (-सर्वेक्षण ४३६)

६९. विद्यादास--व्रजवासी । जन्मकाल १५९३ ई० । राग कल्पद्रुम ।

चतुर्थ अध्याय का परिशिष्ट

७०. केहरी कवि-जन्म १५५३ ई०

यह राजा रतनसिंह के दरबारी कवि थे और काव्य कला में अत्यंत प्रवीश थे। यह रतनसिंह संभवतः बुरहानपुर जिला नीमार के रावरतन है, जो १५७९ ई० में हुए। ( देखिए टाड, भाग २, पृष्ठ ७६; कलकत्ता संस्करण,भाग २, पृष्ठ ८२)।

टि-केहरी कवि ओरछा निवासी थे, ओरछा के राजा रामशाह के आश्रित और महाकवि केशव के समकालीन थे । इन्होंने उन रतन की प्रशंसा.की है जिनके शौर्य का प्रदर्शन केशव ने रतन बावनी में किया है। इनका जन्मकाल १६२० के लगभग और कविताकाल सं० १६६० है । (-सर्वेक्षण १०७)

७१. आसकरनदास–ग्वालियर के अन्तर्गत नरवरगढ़ के कछवाहा राजपूत ।। १५५० ई० के आसपास उपस्थित थे।

राग कल्पद्रुम । यह राजा भीमसिंह के पुत्र थे। देखिए टाड, भाग २, पृष्ठ ३५३; कलकत्ता संस्करण भाग २, पृष्ठ ३९० ।

७२. चेतन चन्द्र कवि जन्मकाल १५५९ ई० ।

इन्होंने शालिहोत्र सम्बन्धी अश्व विनोद' नामक ग्रन्थ सेंगर वंश के राजा ।कुशल सिंह के लिए बनाया था।

पुनश्चः--अश्वविनोद की तिथि सं० १६१६ (१५५९ ई०) दी गई है, जिसे शिवसिंह कवि का जन्म संवत मानते हैं।

- टि०-१५५९ ई जन्मकाल नहीं है इसी वर्ष सं० १६१६ में कवि ने अश्व विनोद की रचना की थी। सरोजकार ने उपस्थितिकाल दिया हैं, न कि जन्म काल । (-सर्वेक्षण २३७)