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७३. प्रिथ्वीराज कवि-राजा और कवि; १५६७ ई० में उपस्थित । हजारा, राग कल्पद्रुम । यह बीकानेर के राजा थे और संस्कृत तथा भाषा दोनों में रचना करते थे। यह कल्यानसिंह के पुत्र और राजा रामसिंह के भाई थे। देखिए टाड का राजस्थान, प्रथम भाग, पृष्ठ ३४३ और आगे, भाग २,पृष्ठ १८६; कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ ३६३ और आगे, तथा भाग २ पृष्ठ २०३.

७४. परबत कवि-१५६७ ई० में उपस्थित ।

हजारा।

टि-बुन्देलवैभव के अनुसार यह ओरछावासी सुनार थे। इनका नाम परवर्ते था । इनका जन्म काल सं० १६८४ और रचनाकाल सं० १७१० दिया गया है। (-सर्वेक्षण १७२)

७५. छत्र कवि-जन्म १५६८ ई०

महाभारत के पद्यबद्ध सार 'विजय मुक्तावली' के रचयिता । यह अत्यन्त संक्षिप्त है और सूचीपत्र से कुछ ही अच्छा है। यह सम्भवतः वही हैं, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने 'छत्रपति कवि' नाम से किया है।

टि०---विजय मुक्तावली का रचनाकाल सं० १७५७, श्रावण सुदी ११ है। अतः ग्रियर्सन का समय पूर्ण रूपेण अशुद्ध है । यह सरोज के आधार पर दिया गया है। (सर्वेक्षण २५३)

कुछ निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता कि यह छत्र और सरोज के छत्रपति कवि ( सर्वेक्षण २४६ ) एक ही हैं या दो।

७६. उदय सिंघ-मारवाड़ के महाराज । १५८४ ई० में उपस्थित ।। किसी अज्ञात कवि ने इनके नाम से एक ख्यात नामक ग्रन्थ लिखा है। जिसमें उदयसिंह, उनके पौत्र गजसिंह और प्रपौत्र जसवन्तसिंह का विस्तृत इतिहास है । देखिए टाड, भाग २, पृष्ठ २९; कलकत्ता संस्करण भाग २,पृष्ठ ३२ ।

७७. जीवन कवि-जन्म १५५१ ई०

हजारा, राग कल्पद्रुम ।

७८. मानिक चन्द' कवि-जन्म १५५१ ई०

राग कल्पद्रुम।

टि०-१५५१ ई० या सरोज में दिया सं १६०८ मानिकचन्द जी का निश्चित रूप से उपस्थिति काल है। (-सर्वेक्षण ६९२)