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प्रसिद्ध कवि, नरहरि ( संख्या ११३ ) के पुत्र, बादशाह अकबर के दरबारी कवि। यह एक दरबार से दूसरे दरबार में जाया करते थे। इस प्रकार बांधों ( रीवाँ ) के बघेल राजा नेजाराम ने इनके एक दोहा पर एक लाख रुपयां और आमेर नरेश मानसिंह ( संख्या १०९ ) ने दो दोहों पर दो लाख रुपया दिया था। लौटते समय इन्हें एक नगर भिखारी मिला, जिसने एक दोहा कहा, जिसपर यह इतने प्रसन्न हुए कि इन्होंने जो कुछ संग्रह किया था, सब उसे दे दिया। और खाली हाथ घर लौट आए। वहाँ पहुँचकर अपने पिता द्वारा अर्जित संपति को इसी प्रकार लुटाते हुए अपना शेष जीवन यापन किया।

टि०--१५८७ ई० हरिनाथ का जन्मकाल है। बघेल राजा का नाम राजा रामचन्द्र है, न कि नेजाराम।

--सर्वेक्षण ९५९

११५. करनेस कवि वंदीजन---अथवा करन। जन्म १५५४ ई०।

यह अकबरी दरबार में नरहरि ( सं० ११३ ) के साथ आया जाया करते थे। इन्होंने तीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथ लिखे हैं:---कर्णाभरण, श्रुति भूषण और भूष भूषण।

टि०-सरोज में दिया १६११ ईस्वी सन् में करनेश का उपस्थिति काल है। अतः इसी के आधार पर ग्रियर्सन द्वारा स्वीकृत १५५४ ई० इनका जीवन काल नहीं हो सकता। मेरी धारणा है कि कर्णाभरण, श्रुति भूषण और भूष भूषण एक ही अलंकार ग्रंथ के तीन विभिन्न नाम हैं।

--सर्वेक्षण ६८

११६ मानराय-असनी, फतहपुर के मानराय भाट। जन्म १५२३ ई०।

११७. जगदीश कवि---जन्म १५३१ ई०।

११८. जोध कवि---जन्म १५३३ ई०।

ये तीनों अकबर के दरबार में आया जाया करते थे।

टि०--सरोज में मानराय ( सर्वेक्षण ७०४ ), जगदीश ( सर्वेक्षण २९४ ) और जोध ( सर्वेक्षण ३०० ) को १५८०, १५८८, १५९० में उ० कहा गया है। ये तीनों ईस्वी सन् में उपस्थिति काल हैं। इन्हीं को विक्रम संवत और जन्मकाल मानकर ग्रियर्सन में इनका ईस्वी सन में रूपान्तर दिया गया है। अतः ये तीनों सन् अशुद्ध है।


१. इस राजा का नाम रिपोर्ट आफ आर्केआलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया की जिल्द २१ में दी हुई सूची में नहीं है।