पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१६५

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( १५४ ) १३९. कासीनाथ कवि-१६०० ई० में उपस्थित । अच्छे कवि । यद बलभद्र के पुत्र, केशवदास के भतीजे और बालकृष्ण त्रिपाठी के भाई थे। टि-काशीनाथ त्रिपाठी बलभद्र त्रिपाठी के पुत्र और बालकृष्ण त्रिपाठी के भाई थे। यह बलभद्र मिश्र के पुत्र और महाकवि केशवदास मिश्र के भतीजे नहीं थे। सरोज में इनको संवत १७५२ में उ० कहा गया है। ग्रिय- सन का संवत अशुद्ध है। . -सर्वेक्षण ९५ १४०. देवदत्त-उपनाम देव कवि, समानेगाँव, जिला मैनपुरी के ब्राह्मण, जन्म १६०४ ई०। देशीय मत के अनुसार यह अपने युग के सर्वश्रेष्ठ कवि थे और वस्तुतः ये भारत के बड़े कवियों में से एक हैं। कहा जाता है कि इन्होंने ७० से कम पुस्तकें नहीं लिखी हैं। निम्नांकित ग्रंथ अधिक प्रसिद्ध है-(१) प्रेम . तरंग, (२) भाव विलास, (३) रस विलास, (४) रसानंद लहरी, (५) सुजान विनोद, (६) काव्य रसायन (पिंगल और अलंकार का ग्रंथ), (७). अष्टजाम ( राग कल्पद्रुम) (मुद्रित), (८) देवमाया प्रपंच (नाटक), (९) प्रेम दीपिका, (१०) सुमिल विनोद, (११) राधिका विलास । मासों. द तासी (भाग १, पृष्ठ १५७) बार्ड ( भाग २, पृष्ठ ४८०) का हवाला देता हुआ इन्हें देवराज कहता है और लिखता है कि यह नखशिख के रचयिता थे, . जो कि ऊपर के गिनाए गए ग्रंथों में से संभवतः कोई है। टि–देव का जन्म सं० १७३० में हुआ था। १६ वर्ष की अवस्था में सं० १७४६ में इन्होंने भाव विलास की रचना की थी। अतः ग्रियर्सन में । दिया इनका समय अशुद्ध है । यहः समानेगाँव जिला मैनपुरी के रहनेवाले नहीं 'थे। इनका जन्म इटावा में योसरिहा कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में हुआ था। २९ वर्ष की वय में यह मैनपुरी जिले के कुसमड़ा नामक गाँव में आ बसे थे, जहाँ इनके वंशज आज तक हैं। देव माया प्रपंच किसी दूसरे देव की रचना है। तासी के देवराज के संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता । -सर्वेक्षण ३६० १४१. हरीराम-जन्म १६२३ ई० . नखशिख के रचयिता। संभवतः पिंगल ( राग कल्पद्रुम) के भी रचयिता यह वही हरीराम कवि हैं, जिनका उल्लेख करते हुए शिव सिंह ने इन्हें . १६५१ ई० में उत्पन्न (१ उपस्थित ) कहा है।