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हजारा। इन्होंने नायिका भेद का एक अच्छा ग्रंथ लिखा है।

टि०—१६९७ ई० (सं० १७५२) कुंदन का उपस्थिति काल है।

——सर्वेक्षण ८४


३०९. स्याम सरन कवि—जन्म १६९६ ई०।

स्वरोदय (राग कल्पद्रुम) नामक ग्रंथ के रचयिता।

टि०—श्यामशरण जी चरणदास (सं० १७६०-१८३८) के शिष्य थे। इनका रचनाकाल सं० १८०० के आसपास होना चाहिए। ग्रियर्सन में दिया संवत अशुद्ध है। इनका जन्म सं० १७६० के पश्चात होना चाहिए।

——सर्वेक्षण ८९३


३१०. गोध कवि—जन्म १६९८ ई०।

टि०—सरोज में इनका नाम 'गोधू' है।

——सर्वेक्षण २०३


३११. छेम कवि—जन्म १६९८ ई०।

कोई विवरण नहीं। यह शिवसिंह द्वारा उल्लिखित संभवतः दोआब के छेम करन भी हैं। देखिए सं०८७, १०३।

टि०—छेम या क्षेमनिधि पद्माकर के चाचा थे। १६९८ ई० (सं० १७५५) इनका रचनाकाल है।

——सर्वेक्षण २४७

यह अंतर्वेदी छेमकरन, 'छेम' से भिन्न हैं।

——सर्वेक्षण २४४


३१२. छैल कवि—जन्म १६९८ ई०।

हजारा।

टिक०—१६९८ ई० (सं० १७५५) कवि का रचनाकार है।

——सर्वेक्षण २४९


३१३. जुगुल कवि—जन्म १६९८ ई०।

राग कल्पद्रुम। कहा जाता है कि इन्होंने कुछ बहुत ही विचित्र छंद रचे हैं। बिना तिथि दिए हुए 'जुगुलदास कवि' नाम से शिवसिंह द्वारा उल्लिखित कवि भी संभवतः यही हैं।

टिक०—ग्रियर्सन की कल्पना ठीक है। दोनों कवि एक ही हैं। सं० १७५५ कवि का जन्मकाल हो सकता है। इन्होंने सं० १८२१ में हित चौरासी की टीका की थी।

——सर्वेक्षण २६०, ३०३