पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२४०

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( २२१) टि-फर्रुखाबाद के दूसरे नवार कायम खाँ का शासनकाल सं०१८००. १८०६ है । भत: १७४६ ई. ( सं १८०३ ) रामभट्ट का उपस्थिति काल है, न कि जन्म काल। -सर्वेक्षण ७८३ ४५६. सुखानंद कवि-चचेरी के कवि और भाट । जन्म १७४६ ई० । ४४७. सोमनाथ-भोग सौड़ी, जिला हरदोई के। जन्म (१ उपस्थिति) १७४६ ई० सूदन । शिवसिंह द्वारा ब्राह्मननाथ ( सं० ४४३ ) के प्रसंग में उल्लिखित । टि०, इनका विवरण निम्नांछित शब्दों में सरोज में दिया गया है-- "सोमनाथ ब्राह्मण, नाथ उपनाम, साड़ी वाले । सं० १८०३ में उ." इस एक कवि सोमनाथ से ही ग्रियर्सन ने एक और कवि ब्राह्मण नाथ की कल्पना कर ली है । ब्राह्मण के बाद अर्द्ध विराम है। सोमनाथ जाति के नाहाण है और इनका. उपनाम. नाथ है। ब्राह्मण नाथ (ग्रियर्सन ४४३ ) नाम का कोई कवि नहीं हुआ। यह साँड़ी के रहनेवाले थे । लाड़ी के पहले भोग न जाने कहाँ से लग गया। संभवतः 'उपनाम का अर्थ किसी पंडित ने 'भोग' बता दिया होगा अथवा सरोज के दूसरे संस्करण में उपनाम के स्थान पर 'भोग' हो पा रहा होगा और इसे ग्रियर्सन ने साँड़ी के साथ जोड़ लिया । विनोद के अनुसार ( ८३६) सं० १८०९ इनका रचनाकाल है। अतः सं. १८०३ इनका उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल ! --सर्वेक्षण ९४२ ४४८. निवाज कवि-बिलग्राम, जिला हरदोई के मुसलमान जुलाहे । जन्म १७४७ ई०। शृङ्गारी कवि । सम्भवतः वही जो सं० ३४२ के। १९८ संख्या से अलग समझे जाने चाहिए। रियह मुसलमान बिलग्रामी निवाज; ३४२ संख्यक ब्राह्मण बुन्देलखंडी निवाज से निश्चय ही भिन्न हैं । १९८ संख्यक से अलग तो यह हैं ही। ४४९. बोधा कवि-जन्म १७४७ ई० । शृङ्गार संग्रह, सुन्दरी तिलक । देखिए सं० ५०० टि-बोधा पन्ना नरेश खेत सिंह (शासन काल सं० १८०९-१५) के यहाँ थे । अत: १७४७ ई० ( सं० १८०४ ) इनका उपस्थिति काल है, न. कि जन्म काल । --सर्वेक्षण ५४३