पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२५७

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( २३८) यह मतिराम (सं० १४६ ) के वंशज और कवि लाल (सं० (१) ५६१, ९१९) के पिता थे । यह चरखारी और बुंदेलखंड के अन्य दरबारों में भी जाया करते थे । ५२६. नवल सिद्धा-झाँसी के कायस्थ । जन्म १८४१ ई० । शृंगार संग्रह । यह राजा समथर के नौकर थे। इनकी अच्छी प्रसिद्धि . थी। यह (१) नाम रामायण और (२) हरि नामावली के रचयिता थे। टि-नवल सिंह का रचनाकाल सं० १८७३-१९२६ है। २१ वर्ष की वय में इन्होंने कान्य रचना प्रारंभ की थी। अतः इनका जन्मकाल सं० १८५२ है। ग्रियर्सन में दिया समय १८.४१ ई० (सं० १८९८) इनका उपस्थिति काल है, न कि जन्मकाल । . -सर्वेक्षण ४३९ ५२७. अस्कन्द गिरि-बाँदा के | जन्म ( ? उपस्थिति) १८५९ ई० । __यह कवि हिम्मत बहादुर (सं० ३७८ ) के वंश के थे। यह नायिका भेद के अच्छे कवि थे । इनका इसी विषय का श्रेष्ठ ग्रंथ 'अस्कन्द विनोद' है। .. टि-स्कन्द गिरि ने सं० १९०५ में 'रसमोदक' की रचना की थी। स्पष्ट है कि १८५९ ई. (सं० १९१६ ) इनका उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल। -सर्वेक्षण १७ ५२८, समनेस कवि-बधेलखण्डी, बाँधो के कायस्थ । १८१० ई० में उपस्थित्त । ___ यह रीवाँ नरेश महारान विश्वनाथ सिंह के पिता महाराज जय सिंह (सिंहासनारोहणकाल १८०९ ई०, सिंहासन परित्यागकाल १८१३ ई.) के दरबारी कवि थे । यह काव्य भूषण नामक ग्रंथ के रचयिता थे। टि-बख्शी समन सिंह उपनाम समनेश ने सं० १८४७ में रसिक- .. विलास और सं० १८७९ में पिंगल बान्य विभूषण की रचना की थी। महाराज जय सिंह ने सं० १८९२ (१८३५ ई०) में सिंहासन त्याग किया था, न कि सं० १८७० ( १८१३ ई०) सें। --सर्वेक्षण ९४४, ५४८ ५२९. विस्वनाथ सिद्ध-बघेलखण्डान्तर्गत बाँधो के महाराज, शासनकाल ... १८१३-१८३४ ई० 1 राग कल्पद्रुम । कत्रियों को आश्रय प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध राजवंश के वंशज । इनके पूर्वज नेजा रामसिंह अकबर के सम-सामयिक थे। इन्होंने