पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

___ (२४६ ) (१) कितावे महाभारत-जिसका एक अंश फरजाद कुली संग्रह में है। (२) प्रति जिसका एक अंश सर ई० कुजले के पास है। (३) सर डब्लू० अज़ले (Sir w.Ouseley ) के हस्तलेखों में भी एक ग्रंथ है, जिसका एक अंश संस्कृत और हिंदुस्तानी महाभारत का है। (४) बोजिया के प्रिंस के बहुत से हिंदुस्तानी इस्तलिखित ग्रंथों में महा- भारत का एक अंश, पालक पुराण अर्थात् बालक (कृष्ण ) की दंत कथाएँ नाम से है । संत चारथलमी के पालिन ने इस संग्रह का वर्णन किया है। मूल हस्तलेख पी० मारकस ए टोबा रचित इटालियन अनुवाद के सहित है। अकबर के मंत्री अबुल फजल द्वारा लिखित कहे गए महाभारत के फारसी अनुवाद के अतिरिक्त, एक और नया अनुबाद नजीब खौँ बिन अब्दुल लतीफ़ . ... द्वारा, नवाब महालदार नज़ा के कहने पर, उन्हीं के महल में, १७९८-८३ ई० में हुआ। अनुवादक कहता है कि बहुत से बाहाण मूल संस्कृत की मौखिक व्याख्या हिन्दुस्तानी में करते जाते थे और उसने उसी व्याख्या के आधार पर .. अपना फारसी अनुवाद प्रस्तुत किया। एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के फ़ारसी इस्त-लेखों में, हिंदू बयास द्वारा किया गया महाभारत का एक तीसरा फ़ारसी अनुवाद भी है।" - इस सूची में आगे यह और जोड़ा जा सकता है-- . (१) छत्र कवि ( सं० ७५ ) कृत विजय मुक्तावली-यह महामारत का अत्यंत संक्षिप्त सार मात्र है। (२) सबल सिंह चौहान (सं० २१०) इन्होंने उक्त ग्रंथ के २४,००० छंद अनूदित किए। (३) चिरंजीव (सं० ६०७)-इनके लिए कहा जाता है कि इन्होंने सारा अनुवाद किया। टि-घेत चंद्रिका अलंकार का ग्रंथ है। इसकी पचवन्द्र भूमिका में महाराज बनारस की वंशावली भी दी गई। सारा ग्रंथ ही इतिहास नहीं है। मणिदेव गोकुल नाथ के ही शिष्य थे, इनके पुत्र गोपीनाथ के नहीं । ५६५. गोपीनाथ बंदीजन-बनारसी । १८२० ई० के लगभग उपस्थित । . , बनारस के राजा उदित नारायण की आज्ञा से संपूर्ण महाभारत का भाषा- नुवाद हुआ था। गोपीनाथ, [जो गोकुलनाथ (सं० ५६४ ) के पुत्र है ]. और उनके शिष्य मणिदेव (सं० ५६६ ) ने इस कार्य में अत्यंत महत्वपूर्ण भाग लिया। प्रगोपीनाय के जीवन का अधिकांश भाग इसी कार्य में लगा था।