पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२७४

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( २५५) मतिगम (सं० १४६) रघुराज (सं० ५३२) मुबारक (सं० ९४) रामनाथ (सं० ७८५) मुरलीधर (सं० १५६) रसखान (सं०६७) नवीन (सं० ७९०) ऋषिनाथ (सं० ७९४) नवनिधि (सं० ७८९) शंभु ( ? सं० १४७) नजीब खाँ उपनाम रसिया सरदार (सं० ५७१) (सं० ७८८) सेवक (सं० ५७९, ६७७) नरेन्द्र सिंह (सं० ६९०) सेखर (सं० ७९५) नरेश (सं०७९१) | शिव (सं० ८८) नाथ (? सं०६८, १४७, १६८, श्रीधर (सं० १५७) ४४०, ६३२, ८५०) | श्रीपति ( सं० १५०) नेवाज (सं० १९८) . सुखदेव मिसर (सं० १६०) । पदमाकर (सं० ५०६). सुमेरु सिंह ( सं० ७५९) पारस (सं० ७९२) सुंदर दास (सं० १४२) परमेस (१ सं० २२२, ६१६) । ठाकुर (सं० १७३) प्रेम (सं०.३५१) तोष (सं० २६५) रघुनाथ जोधपुर के (सं० १९३) तुलसी, श्री ओझा (सं०७८६) टि-सुंदरी तिलक का प्रथम संस्करण सं० १९२५ में हुआ था। तब इसमें केवल ४५ कवि थे। यह सूची तासी द्वारा दी गई है। तासी ने मन्नालाल द्विज को इसका संकलयिता स्वीकार किया है । 'प्रसिद्ध महात्माओं का जीवन चरित्र' अब 'चरितावली' नाम से उपलब्ध है। कविवचनसुधा नाम का इनका कोई नहीं। कविवचनसुधा पत्रिका है। इसी पत्रिका के किसी अंक में पावस संबंधी कवित्त सवैये छपे थे, जो बाद में अलग पुस्तकाकार भी छपे। ५८२. दीन दयाल गिरि-बनारसी। १८५५ ई० में उपस्थित । यह संस्कृत के विद्वान थे। इन्होंने उक्त सन् में 'अन्योक्ति कल्पद्रुम' नाम का भाषा साहित्य का ग्रंथ लिखा। यह अनुराग बाग और बाग बहार नामक दो अन्य ग्रंथों के भी रचयिता हैं। टिo-दीन दयाल गिरि ने 'बाग बहार' नामक कोई ग्रंथ नहीं लिखा । ५८३. मन्नालाल-पंडित मन्नालाल बनारसी, उपनाम द्विज कवि । १८८३ . ई० में जीवित । सुंदरी तिलक । यह संभवतः मान सिंह शाकद्वीपी (सं० ५९९) ही