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अध्याय १०, भाग ४ का परिशिष्ट


६४५. भूप नारायन—काकूपुर, जिला कानपुर के भाँट। जन्म १८०१ ई०। इन्होंने शिवराजपुर के चन्देल क्षत्रिय राजाओं की पद्यवद्ध वंशावली लिखी है।

टि०—यह कवि दुहरा उठा है। देखिए यही ग्रंथ, संख्या ४४४
६४६. दुरगा कवि—जन्म १८०३ ई०।

टि०—१८०३ ई० (सं० १८६०) रचनाकाल है। इन्होंने सं० १८५३ के युद्ध का वर्णन किया है।

——सर्वेक्षण ३५८


६४७. चूड़ामनि कवि—जन्म १८०४ ई०

इस कवि ने अपने काव्य में गुमान सिंह और अजित सिंह नामक दो आश्रयदाताओं की प्रशस्ति की है।
६४८. आजस कवि—जन्म १८०९ ई०।

यह मुसलमान कवि स्वयं अच्छी रचना करते थे और अन्य अच्छे कवियों के मित्र थे। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ नखशिख और षट् ऋतु ( रांगकल्पद्रुम) हैं।

टि०—आजम मुहम्मद शाह रँगीले के दरबारी थे। इन्होंने सं० १०८६ में शृङ्गार दर्पण की रचना की थी। अतः १८०९ ई. (सं० १८६६ ) इनका जन्मकाल नहीं। यह उपस्थिति काल भी नहीं है और अशुद्ध है।

——सर्वेक्षण १३


६४९. मेघा कवि—१८१० ई० में उपस्थित।

उक्त वर्ष में लिखित चित्रभूषण नामक ग्रंथ के रचयिता।
६५०. कमलेस कवि—जन्म १८१३ ई०। इन्होंने नायिका भेद का एक अच्छा ग्रंथ लिखा है।
६५१. ग्यानचंद्र जती—राजपूताना वाले। जन्म १८१३ ई०।

? राग कल्पद्रुम। यह कर्नल टाड के गुरु थे।

टि०—१८१३ ई० (सं० १८७०) इनका उपस्थिति काल है, क्योंकि इसके १० ही वर्ष बाद टाड ने राजस्थान का इतिहास लिखा।

——सर्वेक्षण २०७


६५२. संपति कवि—जन्म १८१३ ई०।


६५३. भोज कवि—(१)। जन्म १८१५ ई०।


६५४. रिखि जू कवि—जन्म १८१५ ई०।

श्रृंङ्गारी कवि।