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७७८. सगुनदास कवि

टि०—यह वल्लभाचार्य के शिष्य थे। इनका रचनाकार सं० १६०० के आसपास है।

—सर्वेक्षण ९२५


७७९. स्याममनोहर कवि

टि०—इस कवि का भी अस्तित्व नहीं। सरोज में उद्धृत पद में 'श्याम मनोहर' शब्द कृष्ण का सूचक है।

—सर्वेक्षण ८९२

६. ठाकुर प्रसाद (सं० ५७०) के रस चंद्रोदय में उद्धृत, अतः १८६३ ई० के पूर्व उपस्थित कविः—
७८०. कालिका कवि—बनारस के कवि और बंदीनन कालिका । १८८३ ई० में जीवित।

सुंदरी तिलक में भी।

टि०—जब इन्हें १८८३ में जीवित स्वीकार किया गया है, फिर न जाने क्यों इस अज्ञात कालीन प्रकरण में इन्हें स्थान दे दिया गया है।

७. गोकुल प्रसाद (सं० ६९४) के दिग्विजय भूषण में उद्धृत, अतः १८६८ ई० के पूर्व उपस्थित कविः—
७८१. खान कवि
७८२. धुरंधर कवि—श्रृंङ्गार संग्रह में भी।
७८३. नायक कवि—श्रृंङ्गार संग्रह में भी।

टि०—नायक का नाम सूदन की प्रणम्य कवि-सूची में भी है, अतः यह सं० १८१० के पूर्व या आसपास उपस्थित थे।

—सर्वेक्षण ३९६

८. हरिश्चंद्र (सं० ५८१) के सुंदरी तिलक में उद्धृत, अतः १८६९ ई० के पूर्व उपस्थित कविः—
७८४. अलीमन कवि
५८५. कवि राम—उपनाम रामनाथ कायस्थ। शिव सिंह ने इस नाम के दो कवि दिए हैं। एक को उन्होंने १८८३ ई० में जीवित लिखा है, दूसरे को १८४१ ई० में उत्पन्न कहा है। संभवतः दोनों एक ही है।

टि०—ग्रियर्सन का अनुमान ठीक है।

—सर्वेक्षण ९२, ९३