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७८६. तुलसी स्री ओझा जी—जोधपुर (मारवाड़) के।

यह अच्छे श्रृङ्गारी कवि कहे गए हैं।

टि०—यह भारतेंदु कालीन हैं।

—सर्वेक्षण ३१७


७८७. दयानिधि—पटना के ब्राह्मण।

संभवतः वही 'दयानिधि कवि' जिनका उल्लेख शिवसिंह ने बिना तिथि के किया है। मिलाइए सं० ३६५।

टि०—कुछ कहा नहीं जा सकता कि दोनों दयानिधि एक हैं अथवा दो।
७८८. नजीब खाँ—उपनाम रसिया, महाराजा पटियाला के मंत्री।

टि०—सरोज (सर्वेक्षण ७४८) में इन्हें वि० (विद्यमान) कहा गया है। फिर भी न जाने क्यों इन्हें इस अज्ञातकालीन प्रकरण में ला बिठाया गया।
७८९. नवनिधि कवि

टि०—सं० १९०५ सें नवनिधिदास ने मंगल गीता नाम ग्रंथ रचा था।

—सर्वेक्षण ४०१

७९०. नवीन कवि—श्रृंगारी कवि।

टि०—नवीन का असल नाम गोपाल सिंह कायस्थ था। इन्होंने सं० १८९५ में 'सुधासर' नाम संग्रह ग्रंथ संकलित किया था।

—सर्वेक्षण ४००


७९१. नरेस कवि—इनकी एक मुक्तक रचना से ज्ञात होता है कि यह किसी नायिक भेद के रचयिता थे। (देखिए संख्या ८७ पर टिप्पणी)।
७९२. पारस कवि

टि०—विनोद (२२०८) में पारस को वर्तमान प्रकरण में १९२६ वि० से पूर्व के कवियों में स्थान दिया गया है।
७९३. महराज कवि—श्रृंगार संग्रह में भी।

टि०—विनोद (१२३४) में इन्हें सं० १८७६ से पहले का कहा गया है।
७९४. रिखिनाथ कवि—श्रृंगार संग्रह में भी। श्रृंगारी कवि।

टि०—इन्होंने सं० १८३० में अलंकार मंजरी की रचना की।

—सर्वेक्षण ७६०


७९५. सेखर कवि—श्रृंगारी कवि।

टि०—इनका पूरा नाम चंद्रशेखर वाजपेयी था। इनका जन्म सं० १८५५ में हुआ और मृत्यु सं० १९३२ में।

—सर्वेक्षण ९१४