पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/११

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प्रकाशित हुई। द्वितीय संस्करण पेरिस की 'सोसिएते एसियातीक' (एशियाटिक सोसायटी) के पुस्तक-विक्रेता अदोल्फ़ लबीत (Adolphe Labitte) द्वारा प्रकाशित और हेनरी प्लौं (Henri Plon) द्वारा मुद्रित है। पहली जिल्द में प्रस्तावना और लम्बी भूमिका के बाद एक हज़ार दो सो तेईस (१२२३), दूसरी जिल्द में एक हज़ार दो सौ (१२००), और तीसरी जिल्द में छोटी-सी विज्ञप्ति के बाद आठ सौ एक (८०१) कवियों और लेखकों का उल्लेख है। दूसरी जिल्द में कोई विज्ञप्ति, प्रस्तावना और भूमिका नहीं है और इस गणना में तीसरी जिल्द के अंत में परिशिष्ट में दिए गए कवियों और लेखकों की संख्या सम्मिलित नहीं है। तीसरी जिल्द के अंत में उर्दू से संबंधित एक संयोजित अंश (Post-Scriptum) के बाद ग्रन्थों और समाचारपत्रों-सम्बन्धी दो परिशिष्ट और लेखकों तथा ग्रन्थों की दो अनुक्रमणिकाएँ हैं। तीनों जिल्दों में क्रमश: IV, ७१ तथा ६२४, ६०८ और VIII तथा ६०३ पृष्ठ हैं।

प्रस्तुत अनुवाद में सम्मिलित कवियों और लेखकों की संख्या तीन सौ अट्ठावन (३५८) है जिनमें से केवल बहत्तर (७२) का उल्लेख प्रथम संस्करण की पहली जिल्द में हुआ है। इन तीन सौ अट्ठावन (३५८) में से कुछ कवि और लेखक ऐसे हैं जो प्रधानतः उर्दू के हैं (इस बात का अनुवाद में यथास्थान उल्लेख कर दिया गया है)। उन्हें इसलिए सम्मिलित कर लिया गया है क्योंकि या तो उनका हिन्दी की कुछ, प्रसिद्ध रचनाओं से संबंध है, जैसे जवाँ और विला का 'सिंहासन बत्तीसी', 'बैताल पचीसी' आदि से, अथवा जिनकी किसी रचना का हिन्दी में अनुवाद हुआ बताया गया है, अथवा जिनकी कोई रचना हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुई, अथवा जिनकी कुछ रचनाओं के लिए तासी ने 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग किया है (क्योंकि उर्दू के