पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/११०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भमिका [ ८६ जा सकता हैजिसे अन्दाज़कहते हैं 1 इस प्रकार मेंजिसे मीर ने स्वयं अपने लिए चुना है, तबनीस (Alliteration), तरसी’ (Symmetry), दशबोह (Similitude), सफ़ाई गुफ्तगू (Belle diction), फसाइत (Elogy ence ), बलागत ( Elocution ), अदाबन्दी ( Description , ढ़ियाल ( Imagination) आदि का प्रयोग अवश्य होना चाहिए। मीर का कहना है कि काव्यकला के जो विशेषज्ञ हैं वे मैंने जो कुछ कहा है उसे पसन्द करेंगे । मैने गंवारों के लिए नहीं लिखा क्योंकि मैं जानता हूं कि बातचीत का क्षेत्र व्यापक है, औोर मत विभिन्न होते हैं ।' जहतक गद्म से संबंध है, उसके तीन प्रकार हैं : १. वह जो ‘मुर ' या काव्यात्मक गद्य ( Poetic pros: ) कहा जाता है, जिसमें शिना तुक के लय होती है , २. जि से 'मुसज्जा’ या विकृत रूप में 'सजा' कहते हैं , ३. जिसे ‘चारी कहते हैं, जिसमें न तो शुरू होती है और न छन्द । अन्तिम दो का सबसे अधिक प्रयोग होता है मैं कभी कभी ये दोनों मिला दिए जाते हैं । । ‘नज्म’ के, जो कविता के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द है, विपरीत गद्य को नन’ कहते हैं । गध सामान्य हो तृकयुक्त हो, अधिक तर सामान्यत: पद्यों-सहित होता है, तथा जो प्राय: उद्धरण होते हैं । अब मैं, जैसा कि मैंने हिन्दुई के संबंध में किया है, निम्नलिखित अंकाराविक्रम में हिन्दुस्तानी रचनाओं के विभिन्न प्रकारों के नामों पर विचार करता हूँ । ‘इंशा’ अर्थात‘उत्पत्ति’ । यह हमारे प-संबधी रिसाले से बहुतकुछ भिल ताजुलता पत्र को भाँति लिखी गई चीज़ों का संग्रह है । अनेक musulanes.' ( मुसलमान जातियों का काव्य-शा ) पर मेरा तीसरा लेड१० १७। वे इस तुक-युक्त गथ के तांन कारों को गणना की जाती है। इस संबंध में Rhjtorique des nations nusulanes' ( मुसलमान जातियों का -शाछ ) पर मेरा चौथा लेख देखिए, भाग २२ ।