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खुसरो

द्वारा उल्लिखित, दरिया-इ अबरार’ का भी उल्लेख कर देना मेरा कर्त्तव्य है।

श्री ए० स्प्रेंगर( Sprenger ) ने खुसरो कृत या कम से कम उनके द्वारा रचित बताई गईं कुछ भारतीय गूढ़ प्रश्न, ‘पहेली', का पाठ और अनुवाद प्रकाशित किया है।[१] लखनऊ के तोपखाने में ‘पहेली खुसरो’ शीर्षक एक हस्तलिखित प्रति दस या बारह छोटी जिल्दों में मिलती है जिनमें लगभग दो सौ पहेलियाँ हैं।

उनमें से दीपक पर एक इस प्रकार है :

‘पंसारी का तेल,कुम्हार का बर्तन, हाथी की सूँड़, नवाब की पताका'

सैयद अहमद खाँ के अपने 'आसार उस्सनादीद'[२] में कथनानुसार, हिन्दुस्तानी में एक विशेष प्रकार की रचनाएँ, 'निस्बतें', भी उनकी ( खुसरो की ) देन है, और जिसका एक उदाहरण इस प्रकार हैं जो मैंने स्वयं सैयद अहमद से लिया है :

प्रश्न : गोश्त क्यों न खाया ?

नर्तकी ने क्यों न गाया ?

उत्तर : कला न था । { उसके पास टुकड़ा न था।

{अवसर ही नहीं आया

प्रश्न : अनार क्यों न खाया ?

वज़ीर क्यों न बोला ?

उत्तर : दाना न था {उसके दाने न थे

{क्या कहना चाहिए, यह वह न जानता था।

प्रश्न : रोटी क्यों न खाई ?

जूता क्यों न पहिना?


  1. जर्नल ऑव दि एशियाटिक सोसायटी ऑव बंगाल, संख्या vi(६);१८५२;और'ए कैटलॉग ऑव दि लाइब्रेराज ऑव दि किंग ऑव अवध' मे, पृ०६१९
  2. इसका अनुवाद'जूर्ना एसियातिक'(१८६०-१८६१) मे देखिए।