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हिंदुई साहित्य का इतिहास
प्रेम सखी हनुमान प्रसन्न
राम गुलाम पद्माकर काशी-राम
रघु-नाथ रस-रूप वंशी
गोकुल-नाथ दास श्रीपति
सरदार प्रेम शंभु
राम नाथ राम देव
गणेश वेनी सेनापति
शंकर चिन्तामणि
मणिदेव ममारख

गोकुल-नाथ

काशी (बनारस ) के गोकुलनाथ, बनारस के ही रघुनाथ कवि के पुत्र, काशी या बनारस के राजा श्री उदित नारायण की आज्ञा से 'महाभारत' और 'हरिवंश' के कुछ संक्षेप में भाषा या हिन्दई में अनुवाद 'महाभारत दर्पण' और 'हरिवंश दर्पण' के रचयिता हैं। शुद्धता और सौन्दर्य इस अनुवाद की विशेषताएँ हैं; यह केवल थोड़ा संक्षेप इस विशेष अर्थ में है कि (इसमें) मूल के प्रायः इकट्ठे ही समानार्थवाची शब्दों तथा विशेषणों और व्यर्थ के पद्यों के अनुवाद की ओर ध्यान नहीं दिया गया।शेष में उसमें संस्कृत या फारसी से हिन्दुस्तानी में किए गए अनुवादों में साधारणतः पाए जाने वाले दोष हैं। वे ये हैं कि उसमें मूल रचना की भाषा से उधार लिए गए अनेक शब्द और अभिव्यंजनाएँ हैं। यह आद्योपान्त पद्यों, किन्तु विभिन्न छंदों, में है।हिन्दुई में छपी अत्यन्त प्रसिद्ध (रचनाओं ) में से एक, यह रचना लक्ष्मीनारायाण के प्रयत्नों से चौपेजी चार बड़ी जिल्दों में प्रकाशित हो चुकी है। वह (शालिबाहन) संवत् १७५१, तदनुकूल १८२६ ईसवी सन्,मे कलकत्ते से प्रकाशित हुई। इन चार जिल्दों में अठारह पर्व, या